कोलंबिया यूनिवर्सिटी के नाइट फर्स्ट अमेंडमेंट इंस्टीट्यूट समेत कई अन्य ट्विटर यूजर्स की याचिका पर न्यूयॉर्क की एक अदालत ने बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर पर किसी भी यूज़र को ब्लॉक नहीं करने का फैसला सुनाया हैं. जज ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसा करना नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन होगा.
मैनहटन की जिला जज नाओमी रीइस ने बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया है. अपने फैसले में उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप किसी यूज़र को ब्लॉक करते हैं तो नागरिक के फ्रीडम ऑफ स्पीच (बोलने की स्वतंत्रता) अधिकार का उल्लंघन होगा. संविधान में संशोधन करने से पहले ऐसा करना गलत होगा. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि हमारे सामने एक बड़ा सवाल है कि क्या कोई सार्वजनिक क्षेत्र का व्यक्ति इस तरह पब्लिक प्लेटफॉर्म पर किसी व्यक्ति को उसकी राजनीतिक राय देने से रोक सकता है. अगर हम संविधान के हिसाब से देखें तो उसे रोकने का अधिकार नहीं है.
ट्रंप के वकीलों की तरफ से सुनवाई में कहा गया कि जिस ट्विटर अकाउंट को लेकर शिकायत की गई है, वह उनका पर्सनल अकाउंट है ऐसे में ये नियम इस पर लागू नहीं होता है. लेकिन जज ने अपना फैसला ट्विटर यूजर्स के हक में ही दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर पर 52 मिलियन (5.2 करोड़) फॉलोवर हैं. ट्रंप 2009 में ट्विटर से जुड़े थे. ट्रंप के इस पर्सनल अकाउंट के अलावा उनका आधिकारिक अकाउंट भी है, जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति का होता है. जज ने अपने फैसले में कहा है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप किसी आलोचक का ट्वीट नहीं देखना चाहते हैं तो वह उसे म्यूट कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें उस व्यक्ति के ट्वीट नहीं दिखेंगे, हालांकि यूजर ट्रंप की प्रोफाइल देख सकता है. जज बोलीं कि सभी सार्वजनिक व्यक्तियों को संविधान का पालन करना चाहिए.
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई बार आलोचना का शिकार होते हैं. कई बार ट्रंप ने ट्विटर पर ही कई मीडिया हाउस की आलोचना भी की है. हालांकि, अदालत के इस फैसले पर अभी तक व्हाइट हाउस का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
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