बीजिंग। दक्षिण चीन सागर पर अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद सैन्य टकराव का खतरा मंडराने लगा है। चीन ने बुधवार को पूरे विवादित समुद्री क्षेत्र में एयर डिफेंस जोन बनाने की धमकी दी। एयर डिफेंस जोन के तहत कोई भी सैन्य या यात्री विमान बिना चीन की इजाजत के इस समुद्री क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर पाएगा। जबकि फिलीपींस, इंडोनेशिया और ताइवान ने युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात करने का ऐलान किया है।चीन के उप विदेश मंत्री लिउ झेनमिन ने आगाह किया कि दूसरे देश द. चीन सागर को युद्ध क्षेत्र न बनाएं और उनका देश संप्रभुता की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। ट्रिब्यूनल के फैसले को बेकार कागजी टुकड़ा बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पांचों जजों को मोटी रकम घूस में दी गई। झेनमिन ने कहा कि चीन ने सबसे पहले इस क्षेत्र को खोजा, नाम दिया और उत्खनन शुरू किया था।गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा था कि चीन ने दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने के साथ कृत्रिम द्वीप बनाकर समुद्री पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि चीन का इस समुद्री क्षेत्र और संसाधनों पर ऐतिहासिक अधिकार है। चीन ने ट्रिब्यूनल की सुनवाई का बहिष्कार करते हुए कहा था कि उसका इस मामले में कोई क्षेत्राधिकार नहीं है।चीन इससे पहले जापान के साथ विवादित पूर्वी चीन सागर में 2013 में एयर डिफेंस जोन बना चुका है। इसको लेकर दोनों देशों के सैन्य विमान कई बार आमने-सामने आ चुके हैं।ट्रिब्यूनल के फैसले से उत्साहित फिलीपींस सरकार ने कहा है कि वह अपने क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए सैन्य तैनाती बढ़ाएगी। हालांकि वह चीन के साथ वार्ता को भी तैयार है।इंडोनेशिया ने बुधवार को द. चीन सागर के नातुना द्वीपों की सुरक्षा के लिए युद्धपोत, एफ-16 लड़ाकू विमान, मिसाइलें, रडार और ड्रोन तैनात करने का ऐलान किया। विदेश मंत्री रेयामिजार्ड रयाकुडु ने कहा कि इससे हम अपने अधिकारों की रक्षा कर सकेंगे। चीन द. चीन सागर के अपने हिस्से में इंडोनेशिया के विशेष आर्थिक जोन को भी मानता है।ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने अपने समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक युद्धपोत द. चीन सागर के लिए रवाना कर दिया है। यह पोत दक्षिणी शहर काओहसिउंग से ताइवान के नियंत्रण वाले तेइपिंग द्वीप पहुंचेगा। यह द्वीप स्पार्टले नामक द्वीप शृंखला में स्थित है। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि स्पार्टलेज शृंखला में सबसे बड़ा द्वीप तेइपिंग कानूनी तौर पर एक चट्टान है और यह उसे एक विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र नहीं बनाता।दक्षिण चीन सागर दुनिया के सबसे व्यस्ततम व्यापारिक मार्गों में से एक है। प्रशांत और हिंद महासागर के बीच यह समुद्री व्यापार का सबसे छोटा मार्ग है। विश्व व्यापार और तेल-गैस के जहाजों के नौवहन का यह सबसे पसंदीदा मार्ग है। पूरे द. चीन सागर पर चीन के कब्जे से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और पड़ोसी देशों के लिए सामरिक खतरा पैदा होगा।चीन ने श्वेत पत्र जारी कर कहा है कि उसका 2000 साल से दक्षिण चीन सागर पर दावा है। उसने आरोप लगाया कि फिलीपींस ने 1970 के दशक में अवैध कब्जा करके चीन के नांशा द्वीपसमूह के कुछ द्वीपों पर सैन्य प्रतिष्ठान बना रखे हैं। चीन नाइन डैश लाइन के आधार पर 90 फीसदी हिस्से पर अपना हक जताता है। मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, ब्रूनेई, ताइवान और फिलीपींस का भी अपना दावा है।