राज्य में औद्यानिकी फसलों का उत्पादन बढ़ा कर किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार से 700 करोड़ के औद्यानिकी विकास परियोजना को मंजूरी मिली थी। सरकार का मानना है कि इस परियोजना लागू होने से प्रदेश में औद्यानिकी फसलों का उत्पादन, उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों की इनकम में इजाफा होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में बागवानी के लिए आधारभूत सुविधा उपलब्ध होने से पलायन भी रुकेगा।
उद्यान विभाग के माध्यम से परियोजना की डीपीआर बना कर केंद्र को भेजी। इसी बीच कृषि विभाग ने ओर से अलग से 600 करोड़ का प्रस्ताव बना कर केंद्र को भेजा गया। इस पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आपत्ति जताते हुए औद्यानिकी विकास परियोजना को खारिज कर दिया। केंद्र ने राज्य को निर्देश दिए कि कृषि संबंधित प्रस्ताव के लिए अलग से बजट नहीं मिलेगा। लिहाजा कृषि के प्रस्ताव को भी औद्यानिकी विकास परियोजना में शामिल कर संशोधित डीपीआर बनाकर भेजी जाए। अब सरकार दोनों विभागों के लिए एक ही डीपीआर बनाने के लिए परामर्शदाता की मदद लेने जा रही है।
परियोजना में ये काम थे प्रस्तावित
राज्य सरकार की ओर से केंद्र को भेजी गई औद्यानिकी विकास परियोजना की डीपीआर में बागवानी फसलों समेत सब्जी, मसाला, पुष्प, मशरूम, मौनपालन, जड़ी-बूटी, सगंध पादप (ऐरोमेटिक), चाय उत्पादन के अलावा आधारभूत सुविधाओं का विकास, आधुनिक तकनीकी के लिए किसानों को प्रशिक्षण आदि को शामिल किया गया। इसमें उद्यान विभाग के माध्यम से विभाग वार कार्ययोजना बनाई गई। सरकार को उम्मीद थी कि डीपीआर भेजने के बाद केंद्र से परियोजना के लिए स्वीकृत राशि शीघ्र जारी होगी। जिसके बाद परियोजना को प्रदेश में लागू किया जाएगा।
केंद्र का कहना है कि कृषि विभाग के लिए अलग से परियोजना स्वीकृत नहीं होगी। कृषि विभाग के प्रस्ताव को भी औद्यानिकी परियोजना में शामिल कर संशोधित डीपीआर बनाकर भेजें। अब सरकार की ओर से नए सिरे से डीपीआर बनाकर केंद्र को भेजी जाएगी।