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उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर रिजर्व में ‘तीसरी आंख’ से होगी बाघों की गणना

देहरादून: ‘अखिल भारतीय बाघ आकलन-2018’ के तहत उत्तराखंड में बाघों की प्रमुख सैरगाह कार्बेट टाइगर रिजर्व में तीसरी आंख यानी कैमरा ट्रैप के जरिये इनकी गणना बरसात बाद अक्टूबर अथवा नवंबर में होगी। विभाग की कोशिश है कि इससे पहले राज्य के अन्य क्षेत्रों में यह कार्य पूरा कर लिया जाए। इस कार्य में 1200 कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिसंबर तक गणना कार्य पूर्ण होने के बाद अगले साल मार्च तक इसके नतीजे सार्वजनिक होने की उम्मीद है।

उत्तराखंड सहित देश के 18 राज्यों में बाघ आकलन फरवरी के पहले हफ्ते से चल रहा है। इसके तहत प्रथम चरण में उत्तराखंड में भी एक फरवरी से कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के साथ ही 12 वन प्रभागों में बाघों के पगचिह्न के आकड़े जुटाए गए। इनकी फीडिंग का कार्य चल रहा है। यही नहीं, मार्च में द्वितीय चरण में कैमरों के जरिए बाघों की गणना शुरू की गई है।

कैमरा ट्रैप में बाघों की तस्वीरें उतारने के लिए 1200 कैमरों की व्यवस्था की गई है। इसके लिए कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व के अलावा बाघ बहुल 12 वन प्रभागों को नौ ब्लाक में बांटा गया है। राज्य में बाघ गणना के नोडल अधिकारी एवं अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक अब तक हल्द्वानी, चम्पावत, तराई पूर्वी वन प्रभागों के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व में यह कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है, जबकि तराई केंद्रीय व नैनीताल में चल रहा है।

डॉ.धनंजय के अनुसार अब लैंसडौन, हरिद्वार वन प्रभागों के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे देहरादून वन प्रभाग में कैमरा ट्रैप से बाघ गणना का कार्य शुरू कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी वन प्रभागों में यह कार्य पूरा होने के बाद अक्टूबर अथवा नवंबर में कार्बेट टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। राज्य में कैमरा ट्रैप में बाघों की तस्वीर उतारने का यह कार्य दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद तस्वीरें एकत्रित कर इनका मिलान किया जाएगा, जिससे सही आंकड़ा सामने आएगा। साथ ही पूर्व में लिए गए बाघ पगचिन्हों का भी विश्लेषण किया जाएगा।

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