ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निरंजन पटनायक और उनके बेटे नवज्योति पटनायक यदि पुलिस जांच में शामिल नहीं हुए तो जल्द गिरफ्तार किए जाएंगे। दोनों पर एक निवेशक के 65 करोड़ हड़प लेने का आरोप है।
मामले में दो अक्टूबर 2017 को साकेत कोर्ट के निर्देश पर पिता-पुत्र समेत चार के खिलाफ दिल्ली पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में केस दर्ज किया गया था। दो आरोपितों से ईओडब्ल्यू पूछताछ कर चुका है, लेकिन निरंजन पटनायक और नवज्योति पटनायक जांच में शामिल नहीं हुए। उन्होंने केस से जुड़े दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए। अब पूछताछ में शामिल होने के लिए दोबारा नोटिस भेजा गया है। फरवरी के पहले हफ्ते में उन्हें जांच में शामिल होने को कहा गया है। जांच में शामिल न होने पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। आर्थिक अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है।
पुलिस के मुताबिक, ओडिशा में वावासी टेलीकॉम नामक कंपनी में निरंजन पटनायक पहले निदेशक थे। बाद में उन्होंने बेटे को यह पद दे दिया। 2016 में निरंजन पटनायक ने ओडिशा निवासी कमलजीत सिंह आहलूवालिया से संपर्क कर कहा कि वह ओडिशा में मोबाइल का थ्रीजी से अपग्रेड नेटवर्क सिस्टम लगाना चाह रहे हैं। अगर वह इस धंधे में पैसा निवेश करेंगे तो उन्हें कुछ ही साल के अंदर दोगुना मुनाफा हो जाएगा।
कमलजीत सिंह आहलूवालिया ने 65 करोड़ निवेश कर दिए। उन्हें बताया गया था कि 2017 में मुनाफे के साथ 130 करोड़ लौटाए जाएंगे। कई महीने बाद तक मोबाइल के टॉवर नहीं लगाए गए तो उन्हें शक हो गया। पिता-पुत्र से बात करने पर उन्होंने बताया कि टू-जी को लेकर पंगा चल रहा है। बाद में पैसे लौटाने से भी इन्कार कर दिया। उसके बाद कमलजीत ने साकेत कोर्ट में शिकायत कर मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की गुहार लगाई।
कोर्ट के निर्देश पर 2017 में ईओडब्ल्यू में वावासी टेलीकॉम के अधिकारी फरीद अरीफुद्दीन, उनकी पत्न गार्गी अरीफुद्दीन के साथ ही निरंजन पटनायक और उनके बेटे नवज्योति पटनायक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। ईओडब्ल्यू के नोटिस पर फरीद दंपती जांच में पहुंचा तो पटनायक पिता-पुत्र द्वारा पैसे का इस्तेमाल किए जाने के सुबूत मिले। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने पिता-पुत्र को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा, लेकिन वे दिल्ली नहीं आए।