लखनऊ। कारगिल की लड़ाई में उत्तर प्रदेश के शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार इस वर्ष की पेंशन शीघ्र स्वीकृत करेगी। प्रदेश में शहीद सैनिकों के 101 परिजनों को नवम्बर 2015 से अप्रैल 2016 तक की दो ़त्रैमासिक पेंशन दी जानी है। प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री राम गोविन्द चैधरी ने यह जानकारी देते हुए कारगिल दिवस के अवसर पर मंगलवार को यहां बताया कि त्रैमासिक पेंशन की धनराशि 36.51 लाख रुपये जो जिसे शीघ्र ही स्वीकृत कर दिया जाएगा।
सैनिक कल्याण मंत्री ने बताया कि शहीद सैनिकों के 101 परिजनों में 59 माता-पिता और 42 पत्नियों को पेंशन दी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने शहीद सैनिकों के आश्रितों की पेंशन में बढ़ोत्तरी कर दी है। पहले शहीदों के माता-पिता को पेंशन के रुप में 2500 रुपये मिलते थे, उसे बढ़ाकर अब 5000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसी तरह शहीद सैनिकों की पत्नियों को 5000 रुपये के स्थान पर 7500 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में राम गोविन्द चैधरी ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान देश को विजय का उपहार देकर भारतीय सेना ने भारतवासियों के हृदय पटल पर अमित छाप छोड़ी है। सेना के जवानों ने भारत विरोधी शक्तियों की नींव को हिलाकर रख दिया। आज विजय दिवस के अवसर पर उन सभी शहीदों को शत-शत नमन। उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में उत्तर प्रदेश के 87 वीर सपूत शहीद हुये तथा इस युद्ध के बाद सैनिक शिविरों व सुरक्षा बलों पर हमलों में 61 सैनिक शहीद तथा 63 सैनिक घायल हुये। उत्तर प्रदेश के वीर सपूतों में सबसे पहला नाम कैप्टन मनोज पाण्डेय का है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना अपनी धरती से घुसपैठियों को मार भगाया। उन्हें इस बहादुरी के लिए देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह को भी अभूतपूर्व साहस के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके अलावा प्रदेश के वीरों को 07 वीर चक्र, 05 शौर्य चक्र तथा अन्य पदकों से सम्मानित किया गया। कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुये सैनिकों के परिवारजनों को 42 पेट्रोल पम्प तथा 27 एलपीजी एजेन्सी प्रदान की गई।
सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सेवारत एवं पूर्व सैनिकों की संख्या अन्य सभी राज्यों से सर्वाधिक है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग चार लाख से अधिक पूर्व सैनिक तथा वीर नारियाॅं हैं। सरकार सदैव पूर्व सैनिकों एवं विधवाओं के लिए अनुदान एवं सुविधाओं में लगातार वृद्धि करती रहती है।
मंत्री ने बताया कि कारगिल शहीदों के अलावा द्वितीय विश्व युद्ध पेंशन को भी राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में 2500 रुपये से बढ़ाकर 4000 रुपये किया, जिसे फरवरी 2016 में 6000 रुपये प्रतिमाह किया गया। वर्ष 2008 के बाद पहली बार अप्रैल, 2016 में वीरता एवं विशिष्ट सेवा पदकों के एकमुश्त एवं वार्षिकी में 30 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इसके तहत परमवीर चक्र की राशि 25 लाख से 32.5 लाख रुपये कर दी गई है।
उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2015-16 से विकलांग सैनिकों की देखरेख के लिए प्रतिवर्ष प्रति पात्र को 1.00 लाख रुपये का अनुदान देना शुरू किया। लखनऊ छावनी की स्मारिका में उत्तर प्रदेश के तीन परमवीर चक्र विजेताओं के स्मृति चिन्ह हेतु सरकार ने 30 लाख का अनुदान दिया। इसके अलावा राज्य सरकार अगस्त, 2014 से उत्तर प्रदेश के सशस्त्र सेनाओं में कार्यरत सैनिकों की कर्तव्यपालन के दौरान आतंकवादी, अराजक तत्वों की गतिविधियों में हुई हिंसा में मौत होने पर उनके आश्रितों को 20 लाख रुपये की अनुग्रह धनराशि दे रही है।