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कुंजवाल के निशाने पर अब भी हैं कांग्रेस के कुछ नेता

देहरादून: अल्मोड़ा में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में प्रदेश कांग्रेस को बैकफुट पर हटने को मजबूर कर चुके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल की नाराजगी कुछ ठंडी भले ही पड़ गई, लेकिन उनके निशाने पर अब भी कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेता हैं। उन्हें इस बात का मलाल है कि पिछली हरीश रावत सरकार को सत्ता से हटाने के लिए हुई कोशिशों का जितना विरोध होना चाहिए था, नहीं हुआ। 

उन्होंने कहा कि उक्त मामले में सभी ने राजनीति से ऊपर उठकर हल्ला बोला होता तो पार्टी की ये दुर्गत नहीं होती। अलबत्ता, उन्हें यह उम्मीद है कि भविष्य में अल्मोड़ा में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति मौजूदा व पूर्व विधायकों की सहमति से होगी। कांग्रेस की सियासत में इन दिनों खासी हलचल मची हुई है। प्रदेश में अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने में जुटी पार्टी के भीतर दिग्गज नेताओं की बीच खींचतान तेज हो चुकी है।

अल्मोड़ा में नए जिलाध्यक्ष के रूप में मोहन सिंह मेहरा की नियुक्ति से खफा जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने पिछली कांग्रेस सरकार में कांग्रेस विधायकों की बगावत के मौके पर उन्हें भी सौ करोड़ रुपये की पेशकश और मुख्यमंत्री पद ऑफर किए जाने का खुलासा कर प्रदेश की सियासत गर्मा दी थी। यह दीगर बात है कि इस खुलासे के पीछे भाजपा से अधिक प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता रहे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के भी कुंजवाल के खुलासे की पुष्टि करने के साथ ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उनकी सुरक्षा पर खतरा मंडराने की बात कहे जाने से सनसनी फैल गई। 

कुंजवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से उनकी सुरक्षा पर मंडरा चुके खतरे के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें भी स्टाफ से मिली थी। पिछली सरकार के दौरान पार्टी में बगावत और राष्ट्रपति शासन लागू होने को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए कुंजवाल ने एक बार फिर परोक्ष रूप से प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को निशाने पर लिया। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में जब प्रदेश में लोकतांत्रिक सरकार को गिराने की कोशिश हुई तो उस वक्त सभी को राजनीति से ऊपर उठकर हल्ला बोलना चाहिए था। गौरतलब है कि कुंजवाल बीते माह जुलाई में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की विस्तारित बैठक में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को निशाने पर ले चुके हैं। 

‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में कुंजवाल ने अल्मोड़ा में नए जिलाध्यक्ष के रूप में मोहन सिंह मेहरा की नियुक्ति रद होने और पीतांबर दत्त पांडे की बहाली होने पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की जाती तो उन्हें इस हद तक जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति रद किए जाने और पुराने की बहाली अग्रिम आदेशों तक की गई है। उन्हें उम्मीद है कि अल्मोड़ा जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों के विधायक व पूर्व विधायकों से मशविरा कर नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति हो सकेगी।

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