चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने ड्रीम प्रोजेक्ट स्वर्ण जयंती समारोह के आयोजन को लेकर समीति गठित करते समय एक तीर से कई शिकार कर दिए हैं। इस समिति का गठन करते समय सरकार ने अपनों के साथ-साथ विरोधियों को भी जमकर तव्वजो दी है। जिससे आने वाले समय में कई तरह के विवाद होने से बच सकते हैं।सरकार ने हरियाणा के गठन के पचास साल होने के उपलक्ष्य में एक नवंबर 2016 से 31 अक्तूबर 2017 तक प्रदेशभर में हर वर्ग को लेकर समारोह का आयोजन करने का फैसला किया है। इन आयोजनों को सफल बनाने के लिए हरियाणा सरकार ने आज एक बड़ी सी समीति का गठन किया है। समीति में शामिल किए गए सदस्यों की सूची को अगर गहनता से देखा जाए तो यह साफ पता चलता है कि सरकार इस आयोजन को राज्य स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का मानकर चल रही है क्योंकि इसमें आठ केंद्रीय मंत्रियों के अलावा सेना प्रमुखों को भी शामिल किया है।हरियाणा सरकार को आशंका है कि इस बड़े आयोजन को लेकर विरोधी दलों द्वारा राजनीति भी बड़े स्तर पर हो सकती है। जिससे बचने के लिए पहले ही दांव फैंक दिया गया है। इस समीति में जहां विपक्ष के नेता अभय चौटाला, कांग्रेस की किरण चौधरी, भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लिया गया है वहीं कांग्रेस व इनेलो के सभी राज्यसभा व लोकसभा सदस्यों को इसमें शामिल किया गया है। इस समीति में सभी राजनैतिक दलों के प्रदेशाध्यक्षों को भी शामिल किया गया है। सूत्रों की मानें तो आज समीति में सभी दलों को प्रतिनिधित्व देकर हरियाणा सरकार ने बड़ा दांव खेलकर गेंद को विरोधियों के पाले में डाल दी है। इस सूची में नाम शामिल होने से विरोधी दलों के लिए दुविधा की स्थिति बन गई है। वह सरकार के इस न्यौता को न तो स्वीकार करने की स्थिति में हैं और न ही ठुकराने की स्थिति में हैं। विरोधी राजनैतिक दल अगर सरकार के इस न्यौते को स्वीकार करते हुए कार्यक्रमों में अपने दलों की हिस्सेदारी दिखाते हैं तो सरकार का यह आयोजन सर्वदलीय आयोजन कहला सकता है। दूसरी तरफ अगर विरोधी दल इस समीति में शामिल होने से इनकार करते हैं तो ऐसी स्थिति में भी सरकार जनता की सहानुभूति हासिल करने में कामयाब हो जाएगी।