चंडीगढ़। उरी हमले की पृष्ठभूमि में भारत-पाकिस्तान के बीच बढते तनाव के मध्य पडोसी देश की 19 लड़कियां कल रात यहां पहुंची। उनका मानना है कि ‘‘जंग का यह अफसाना सिर्फ हमारी सरकारों और मीडिया तक सीमित है जबकि सीमा के दोनों ओर की आवाम को अमन चाहिए।पाकिस्तान के गर्ल्स फॉर पीस समूह की लड़कियां 11वें ‘ग्लोबल यूथ पीस फेस्टिवल’ में भाग लेने चंडीगढ आयी हैं। इनमेंं से ज्यादातर लड़कियोंं की यह पहली भारत यात्रा है. कार्यक्रम का आयोजन एक गैर सरकारी संगठन ने किया है।
समूह के साथ आयीं, लाहौर निवासी अल्वीना का कहना है, ‘‘पहाड खडा किया गया है कि दोनों देशों के बीच तनाव है। लेकिन जंग का यह अफसाना सिर्फ हमारी सरकारों तक सीमित है। जब हमने भारत में कदम रखा, तो हमें कोई अंतर मालूम नहीं हुआ। हमें एहसास हुआ कि पाकिस्तान और भारत एक जैसे हैं। उसने कहा, ‘‘हम एक जैसे लोग हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच कृत्रिम सीमाएं बना दी गयी हैं।
अल्वीना ने कहा, वहां का आवाम और यहांं का भी, अमन चाहता है. मुझे यहां बहुत अच्छा और घर जैसा लग रहा है। मुझे लगता है, वक्त आ गया है जब हमें समझना चाहिए कि हमारा अस्तित्व एकीकृत समुदाय के रुप में है। यह पूछने पर कि उरी जैसे हमले होने पर पाकिस्तान में कैसी भावनाएं होती हैं, उसने कहा, लोग डर जाते हैं क्योंकि मीडिया वहां भी चीजों को बहुत बढा-चढा कर पेश करता है।अल्वीना ने कहा, अंतत:, मुझे लगता है कि हमारा इतिहास एक है, और यदि आप इस बात को भूल जाएं कि जंग होने वाली है, तो मेरा नहंी ख्याल कि सामान्य आवाम अपने लिए सकून की जिन्दगी से ज्यादा किसी और चीज की फिक्र करता है। लाहौर की ही रहने वाली उरवाह सुल्ताना का कहना है कि उरी हमले के कारण दोनों देशों के बीच बढते तनाव के मद्देेनजर उनका परिवार इस दौरे को लेकर चिंतित था।
सुल्ताना ने कहा उन्होंने कहा, यदि तनाव और बढेगा तो क्या होगा? मैंने उनसे कहा, खुदा-न-खास्ता अगर जंग शुरु हो जाती है तो हम वहां पाकिस्तान भी मर सकते हैं। तो इससे क्या फर्क पडेगा अगर मैं यहां :भारत: मर जाउं।