नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने शुक्रवार को ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए। इस करार के बाद भारत में न्यूकिलर पॉवर प्लॉट स्थापित किया जाना आसान हो जाएगा।
जानकारों ने समझौते को इलेक्ट्रिकसिटी प्रोडेक्शन के मामले में मील का पत्थर बताया है। करार की मदद से जल्द ही भारत बिजली उत्पादन में सरप्लस कंट्री बन जाएगा।
मील का पत्थर साबित होगी इंडो-जापान न्यूकिलर डील
जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार किसी गैर एनपीटी देश के साथ इस तरह का रणनीति करार किया है। इसके साथ ही दोनों देशों ने करीब 10 अन्य करारों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। बीते दिसंबर में आबे की भारत यात्रा के समय ही दोनों देशों ने असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को लेकर सहमति जताई थी। हालांकि, कुछ मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की स्थिति में करार को औपचारिक मंजूरी नहीं मिल पाई थी।
परमाणु ऊर्जा बाजार में जापान एक प्रमुख देश है। इसलिए करार होने से अमेरिका स्थित परमाणु संयंत्रों के निर्माताओं वेस्टिंग्सहाउस इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन और जीई एनर्जी इंक के लिए भारत में परमाणु संयंत्र लगाना आसान हो जाएगा, क्योंकि इन दोनों कंपनियों का जापान में निवेश है। इसके साथ ही परमाणु आपूर्तिकता समूह की सदस्यता की कोशिश में भी भारत को बल मिला है। साथ ही रेलवे और परिवहन, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डों और शहरी विकास के लिए राष्ट्रीय निवेश एवं अधारभूत संरचना कोष, स्पेस रिसर्च को लेकर भी दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने करार पर दस्तखत किए गए हैं।
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