कुशीनगर। कुशीनगर में नारायणी नदी की बाढ़ उतर तो गई है पर अपने साथ किसानों की 500 एकड़ खेती की जमीन निगल गई हैै। जमीन व फसल के नदी में बह जाने से किसानों के सामने जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है।खड्डा तहसील के तीन गांव शिवपुर, मरिचहवा और बंसतपुर नारायणी नदी के किनारे रेता व डूब क्षेत्र में बसे है। इन गांवो के किसानों का जीवनयापन पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। कुछ दिनों पूर्व आई नारायणी नदी की बाढ़ से तीनों गांव डूब गए। प्रशासन ने गांव के लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
पानी उतरने पर ग्रामीण अपने घरों को वापस लौट पुनः गृहस्थी बसाना शुरु किए। पर दर्जनों किसानों की जमीन नदी में विलीन हो जाने के कारण इनके पास मजदूरी करने के अलावा कोई चारा नही है। बुधवार को क्षेत्रीय विधायक विजय कुमार दूबे ने प्रभावित गांवों का दौरा किया। विधायक ने डीएम से मिलकर नदी में विलीन खेती की जमीन के स्थान पर दूसरे स्थान पर जमीन आवंटित कराने की बात कही है। विधायक बोले कि किसानों को फसल का मुआवजा भी मिलेगा। तहसीलदार पवन कुमार का कहना है कि क्षति का आंकलन कराया जा रहा है। सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के मुआवजा वितरण की कार्रवाई की जाएगी।