पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1984 के सिख दंगों के मामले में कमल नाथ पर किए जा रहे हमले में उनका बचाव किया है। कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के बाद नानावती आयोग की रिपोर्ट को लेकर उन पर हमले किए जा रहे हैं। कैप्टन ने कहा कि नानावती आयोग की रिपोर्ट में कमलनाथ के बारे में सिर्फ एक संदर्भ में बात की गई है। इससे उनकी दंगे में भागीदारी नहीं मानी जा सकती है। इस मामले में कानून अपने तरीके से काम करेगा।
कमल नाम को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के बाद पंजाब विधानसभा में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कैप्टन ने कहा कि इस तरह के सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है। इस मामले में कानून अपने हिसाब से काम कर रहा है। बता दें, कि कमल नाथ पर सिख दंगों में शामिल होने के आरोपों को लेकर पंजाब विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया गया था।
कैप्टन ने कहा कि जब यह पहली बार लगाया गया गया था उसके बाद कमल नाथ दस वर्षों तक केंद्रीय मंत्री रहे। एेसे में अब उनके मुख्यमंत्री बनने पर सवाल उठाना फिजूल है। नानावती आयोग की रिपोर्ट में भी सिर्फ एक संदर्भ में कमल नाथ की चर्चा की गई है। इससे उनके दंगे में शामिल होने की बात नहीं कही जा सकती।
बता दें, कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (डीएसजीएमसी) विरोध में उतर आई थी। आप के बागी खैहरा गुट ने भी कमलनाथ का नाम सीएम के रूप में आगे बढ़ाने का विरोध किया जा रहा था।
वहीं, एसजीपीसी के प्रवक्ता व सचिव दिलजीत सिहं बेदी ने एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल के हवाले से कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा ही सिखों के कातिलों और दिल्ली दंगों के दोषियों को शह दी है। इसने सिखों के जख्मों को कुरेदने का काम किया है। इस सिख विरोधी सोच को अपनाते हुए कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है। कमलनाथ का नाम 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में लिया जाता है, परंतु कांग्रेस पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंप रही है। इससे सिख कौम के अंदर रोष पैदा हो गया है।
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