बदरीनाथ/चमोली/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माणा गांव न पहुंचने से दो दिन से इंतजार कर रहे जवानों समेत बदरीनाथ और माणा में मायूसी पसर गई। माणा में आइटीबीपी के एक अधिकारी ने हमारे संवाददाता से कहा कि प्रधानमंत्री के आने की सूचना से जवानों का उत्साह चरम पर था लेकिन उनके न आने से जवानों को थोडी निराशा हुई।
उन्होंने बताया कि दोपहर बाद सूचना मिली कि प्रधानमंत्री हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में हैं। यह हमारे लिए खुशी की बात है कि माणा न सही, लेकिन वह जहां भी हैं हमारे भाइयों के बीच हैं। प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर चमोली जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली थीं। रविवार को जिला प्रशासन पीएमओं से पीएम के दौरे के प्रोटोकाॅल मिलने की उम्मीद लगाए बैठा था।
जिले की पुलिस अधीक्षक प्रीतिप्रियदर्शिनी ने फोन पर बताया कि पुलिस प्रशासन सुरक्षा के सभी इंतजाम कर चुका है और यदि पीएम का दौरा होता है तो पुलिस को कोई अतिरिक्त तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है। जिलाधिकारी विनोद सुमन ने बताया कि पीएम के किन्नौर पहुुंचने की सूचना से पहले प्रशासन सभी जरूरी व्यवस्थाओं को निपटा चुका था। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री का दौरा होता तो आम आदमी को किसी प्रकार कि दिक्कत नहीं होती।
बताते चलें कि केंद्र में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री हर दीपावली सीमा पर जवानों के साथ मनाते आए हैं। इससे पहले वह सियाचिन में और अमृतसर में जवानों के साथ दीपावली मना चुके हैं। इस बार उम्मीद थी कि वह समुद्रतल से साढ़े ग्यारह हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित भारत के अंतिम गांव माणा पोस्ट पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के जवानों के साथ दीपावली मनाएंगे।
प्रधानमंत्री के आगमन की चर्चा से गांव के साथ ही जवानों में भी उत्साह था। हरिद्वार के सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पहुंचे तो लगा कि प्रधानमंत्री का आना तय है।
सभी की नजरें रह-रह कर आसमान की ओर उठ रही थीं। हालांकि शासन और प्रशासन दो दिनों से असमंजस में था, लेकिन तैयारियां पूरी थीं। इस बीच प्रधानमंत्री ने रेडियो पर मन की बात में यह दीपावली सेना और सुरक्षा बलों के जवानों को समर्पित करने का ऐलान किया, तो वहां मौजूद जवानों और नागरिकों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री कुछ ही पलों में उनके बीच होंगे।
रविवार को दोपहर बाद एकाएक खबर आई की प्रधानमंत्री हिमाचल के किन्नौर में जवानों के साथ दीपावली मना रहे हैं। इसी दौरान सुरक्षा का घेरा उठना शुरू हुआ तो सबको अहसास हो गया कि प्रधानमंत्री का दौरा स्थगित हो चुका है।
बताते चलें कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में बसे माणा गांव में करीब 200 परिवार रहते हैं। इनकी आजीविका का मुख्य साधन कृषि और भेड़ पालन है। यहां के वाशिंदे महज छह माह ही यहां रहते हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद गांव में रौनक बढ़ जाती है और शीतकाल में कपाट बंद होते ही सभी परिवार चमोली में गोपेश्वर के पास बसे सात गांवों में लौट आते हैं। शीतकाल में सभी ग्रामीण यहीं रहते हैं।