पटना/बक्सर। बिहार में बक्सर जिले के चौंगाई गांव में पिछले चार महीने के दौरान 500 हिन्दुओं ने अपना धर्म बदलकर ईसाई धर्म कबूल कर लिया है। ये सभी महादलित समुदाय के थे। धर्मांतरण से पहले ईसाई धर्मगुरुओं ने उन्हें बेहतर जिंदगी का भरोसा दिलाया। कहा जा रहा है कि यह लालच में कराया गया धर्मांतरण है जबकि एक अन्य वर्ग का कहना है कि यह सरकारी तंत्र की विफलता का परिणाम है ।
बक्सर जिलाधिकारी रमण कुमार से जब इस बारे में हिन्दुस्थान समाचार ने सम्पर्क किया तो उनका कहना था कि इसकी जानकारी उन्हें भी मीडिया के माध्यम से ही मिली है। अधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। हालांकि जब धर्म जागरण के राम बालक जी से इस बाबत फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी की व्यस्तता के कारण हम इसका संज्ञान नहीं ले सके हैं। उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार भूत-प्रेत के डर की वजह का यह मामला है। सभी लोगों की पुन: घर वापसी होगी। वहीं दूसरी ओर बक्सर स्थित बिशप चर्च के कार्यालय से सम्पर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि सभी ने अपनी मर्जी से ईसाई धर्म को स्वीकार है इसमें किसी प्रकार की कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की गई है। उनका कहना था कि इस मामले में किसी को भी कोई प्रलोभन नहीं दिया गया है।
विदित हो कि जिले में चौगाई गांव के महादलित मुहल्ले में मुसहर बिरादरी के सौ परिवार रहते हैं। इनकी आबादी एक हजार के करीब है। आर्थिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े इन परिवारों के पांच सौ लोग पिछले चार माह के भीतर ईसाई धर्म अपना चुके हैं। अब यह मामला विवादों में आ गया है। कहा जा रहा है कि महादलितों को लालच और दवाब में ईसाई बनाया जा रहा है।
ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले गांव के योगेंद्र मुसहर ने बताया कि मोहल्ले के सभी महादलित मोती मुसहर को नेता मानते हैं। पहले मोती ने ईसाई धर्म स्वीकार किया। नौवीं तक पढ़े मोती ने कहा कि कुछ साल पहले उसका परिवार बीमारी को लेकर परेशान था। ओझा-गुनी भूत-प्रेत का साया बता रहे थे। उससे किसी ने कहा कि पास के अरियांव गांव में कुछ ईसाई रविवार को आते हैं और प्रार्थना कराते हैं। इसके बाद सब कुछ ठीक हो जाता है। मोती का कहना है कि नया धर्म अपनाने पर उसे अंधविश्वास से छुटकारा मिला और परिवार में भी सबकुछ ठीक हो गया। इसके बाद वह कई महादलितों के धर्म परिवर्तन का माध्यम बना।
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