गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी की संपत्तियों की नीलामी के लिए मसूरी व ऋषिकेश में सर्किल रेट के आधार पर संपत्तियों का वर्तमान कीमत का मूल्यांकन किया जा रहा है। जल्द ही जिला प्रशासन की ओर से संपत्तियों की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी ने वर्ष 1997 में सेबी के नियमों का उल्लंघन कर जमीनों की खरीद फरोख्त की। जिसमें हजारों निवेशकों ने पैसा लगाया। देहरादून, डोईवाला, विकासनगर, मसूरी, ऋषिकेश समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी गोल्डन फॉरेस्ट ने जमीन खरीदी।
सेबी की ओर से शिकंजा कसने के बाद कंपनी कारोबार छोड़ कर चली गई, तो निवेशकों का पैसा डूब गया। कंपनी की संपत्तियों को नीलामी करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार की ओर से कंपनी की जमीनों का शपथ पत्र दायर किया गया।
20 साल बाद निवेशकों को कंपनी में लगाया गया पैसा वापस मिलने की उम्मीद जगी
जिसमें कंपनी की करीब 480 हेक्टेयर जमीन की कीमत 2766 करोड़ आंकी गई। इस संपत्तियों के अलावा नानावती कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मसूरी में तीन और ऋषिकेश में एक संपत्ति की वर्तमान बाजार कीमत के आधार पर मूल्यांकन किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नीलामी प्रक्रिया शुरू होने से करीब 20 साल बाद निवेशकों को कंपनी में लगाया गया पैसा वापस मिलने की उम्मीद जगी है। एडीएम वित्त एवं राजस्व बीर सिंह बुदियाल ने बताया कि मसूरी व ऋषिकेश में गोल्डन फॉरेस्ट की संपत्तियों का वर्तमान बाजार दर के अनुसार मूल्यांकन किया जा रहा है। जल्द ही रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।