लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि आर.पी.आई के नेता रामदास अठावले को बौद्ध धर्म अपनाने के बारे में बाबा साहेब की भावना को आहत करने वाली बात नहीं बोलनी चाहिये और ना ही दलितों को अपने नेतृत्व में ही आगे बढ़ने के संघर्ष में बाधा बनकर खड़े होने का प्रयास करना चाहिये। बता दे कि अठावले ने टिप्पणी की थी कि यदि मायावती सच्ची अम्बेडकरवादी हैं तो वे अब तक हिन्दू धर्म छोडकर बौद्व धर्म स्वीकार क्यों नहीं किया।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने अठावले पर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दलितों के वोटों को बांटकर उन्हें दूसरी पार्टियों का गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं।” मायावती ने कहा कि ऐसे लोगों को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बारे में पता नहीं है। अम्बेडकर के बारे में अज्ञानता का ही यह परिणाम है जो रामदास अठावले ने लोगों को वरगलाने की नीयत से यह बात कही है। उन्होंने कहा कि श्री अठावले को इस बात का गहन अध्ययन करना चाहिये कि डा. अम्बेडकर ने अपने देहान्त के ठीक पहले बौद्ध धर्म को अपनाने का अपना संकप क्यों पूरा किया था।
मायावती ने यह भी कहा कि हालाँकि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर ने अपने निधन से पहले यह तहैया करके अपने संकप को सार्वजनिक भी कर दिया था कि मैं हिन्दू धर्म में पैदा ज़रूर हुआ हूँ, पर हिन्दू धर्म में मरूँगा नहीं। उन्होंने कहा कि कई वषोंर् बाद जब उन्हें लगा कि उनका स्वास्थ्य ठीक से उनका साथ नहीं दे रहा है, तो 6 दिसम्बर सन् 1956 को अपनी मौत से कुछ ही दिन पहले 14 अक्टूबर को उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। जब उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया तो लाखों लोग उनके साथ थे। यह श्री अठावले को समझाना चाहिये। उन्होंने कहा कि भाजपा को भी विधानसभा चुनाव में अपनी बाज़ी हारती हुई नज़र आ रही है। इस कारण अब वह धर्म की आड़ में भी राजनीति करने का प्रयास कर रही है। परन्तु प्रदेश में धर्म की आड़ में की जा रही उस राजनीति के जबर्दस्त विरोध को देखते हुये अब भाजपा ने गुलामी की मानसिकता रखने वाले कुछ दलित व पिछड़े वर्ग के नेताओं को आगे करके अपनी स्वार्थ की राजनीति शुरू कर दी है। मायावती ने कहा कि एक मन्त्री की तरफ से ऊना काण्ड को लेकर यह कहना कि गौरक्षा के नाम पर दलितों का उत्पीड़न करना या हत्या करना क्या जायज़ है, इसका जवाब इनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ही पूछना चाहिये तो यह ज्यादा अच्छा होगा।