नोएडा। हाल ही में एक रिटायर वैज्ञानिक के साथ साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें ठग ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी देकर 5 लाख 20 हजार रुपये की ठगी की। यह घटना अक्टूबर में हुई थी, जब ठग ने पीड़ित को “डिजिटल अरेस्ट” का झांसा देकर पैसे वसूलने का प्रयास किया।
साइबर ठग ने वैज्ञानिक को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि उनकी किसी गतिविधि में मनी लॉन्ड्रिंग के तत्व हैं, जिससे उन्हें परेशानी में डालने की धमकी दी गई। यह धोखाधड़ी का तरीका इतना प्रभावी था कि पीड़ित ने डर के मारे पैसे ट्रांसफर कर दिए।हालांकि, साइबर क्राइम थाना की टीम ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की। केवल 12 दिन के भीतर, साइबर क्राइम टीम ने ठग के खातों को फ्रीज कर दिया और पीड़ित के ठगे गए पैसे वापस लौटाने में सफल रही।
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इस घटना ने साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को भी उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आम नागरिकों को इस प्रकार के धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए।
साइबर क्राइम टीम की इस सफलता से यह संदेश भी गया है कि यदि समय पर कार्रवाई की जाए तो धोखाधड़ी के मामलों को रोका जा सकता है और पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सकता है।