“UP BJP संगठन में बड़ा फेरबदल, RSS के 4 प्रचारकों को सह-संगठन मंत्री बनाने की तैयारी। जातीय संतुलन और हिंदुत्व की नीतियों पर मंथन, ‘बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ के नारे के साथ चुनावी तैयारी।”
विशेष संवाददाता -मनोज शुक्ल
लखनऊ । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की तैयारी में हैं। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र, संघ ने यूपी में संगठन को और अधिक मज़बूत करने के लिए अपने चार प्रचारकों को भेजने की योजना बनाई है। इन प्रचारकों की तैनाती का उद्देश्य सिर्फ हिंदुत्व के संदेश को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि राज्य के जातीय समीकरणों को भाजपा के पक्ष में साधना भी है।
READ IT ALSO : नेपथ्य में गुजरात मॉडल, योगी के यूपी मॉडल की ब्रांडिंग शुरू
सूत्रों की मानें तो लखनऊ में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विभिन्न जातियों के बीच के मतभेद को दूर करते हुए, एकता और सुरक्षा का संदेश फैलाना है।
“बंटेंगे तो कटेंगे” का मंत्र देगा भाजपा को संबल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल अगस्त में आगरा में अपने भाषण में कहा था कि “राष्ट्र तभी सुरक्षित होगा, जब हम एक रहेंगे। बंटेंगे तो कटेंगे।” प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस संदेश को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि “अगर हम बंटेंगे, तो हमें बांटने वाले हमारे खिलाफ साजिश रचेंगे।” इसी नारे के तहत भाजपा और संघ उत्तर प्रदेश में जनसमर्थन को बढ़ाने के लिए मैदान में उतरने वाले हैं।
RSS के प्रचारकों की तैनाती से बढ़ेगी BJP की पकड़
यूपी में भाजपा संगठन को छह क्षेत्रों में बांटते हुए, संघ ने चार वरिष्ठ प्रचारकों को सह-संगठन मंत्री के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है। ये प्रचारक जिला स्तर पर संघ और भाजपा के कार्यों के समन्वय को सुनिश्चित करेंगे। इनकी नियुक्ति का मकसद सामाजिक समरसता के साथ-साथ भाजपा को बूथ स्तर पर मजबूत बनाना है। इन सह-संगठन मंत्रियों के माध्यम से पार्टी को संगठनात्मक गतिविधियों का भी बेहतर फीडबैक मिलेगा।
जातीय समीकरण साधने की रणनीति
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जमीन में जातीय समीकरण का खासा महत्व है। भाजपा और संघ का लक्ष्य अगड़ी, पिछड़ी और दलित जातियों को हिंदुत्व के मंच पर एक साथ लाना है। संघ के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि “एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे, बंटेंगे तो कटेंगे” का संदेश जातिगत विभाजन को पाटने में मददगार साबित हो सकता है।
सोशल मीडिया पर भी रहेगा खास फोकस
इस अभियान को सोशल मीडिया पर विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाएगा। भाजपा और संघ की डिजिटल टीम द्वारा सोशल मीडिया पर “एकता से सुरक्षा” और “समरसता का संदेश” जैसे नारों का प्रचार किया जाएगा। हर जिले में संघ के स्वयंसेवक और भाजपा कार्यकर्ता सोशल मीडिया के जरिए इसे जनता तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।
उपचुनाव में संघ और भाजपा का तालमेल
बैठक में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा हुई। भाजपा को उम्मीद है कि उपचुनाव की नौ सीटों में से छह से सात सीटों पर जीत हासिल की जा सकती है। इसके लिए संघ और भाजपा के कार्यकर्ता मतदान के दिन बूथ तक मतदाताओं को लाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
संघ का शताब्दी वर्ष और भाजपा की प्रतिबद्धता
संघ के शताब्दी वर्ष के मौके पर संघ की शाखाओं का विस्तार हर न्याय पंचायत तक करने का लक्ष्य तय किया गया है। भाजपा और राज्य सरकार भी संघ के इस मिशन में पूर्ण सहयोग देंगे। स्वदेशी, सामाजिक समरसता और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर संघ और सरकार एक साथ काम करेंगे।
विश्लेषण: क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?
विश्लेषकों का मानना है कि RSS के प्रचारकों की तैनाती भाजपा के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पहल से भाजपा को न केवल बूथ स्तर पर मज़बूती मिलेगी, बल्कि विभिन्न जातियों के बीच भी एकता का माहौल बनाने में सहायता मिलेगी।
जातिगत गणित को साधने की नई रणनीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदुत्व की धार को और मजबूत करने के लिए नई रणनीति बनाई है। लखनऊ में RSS के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने भाजपा और योगी सरकार के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में यह स्पष्ट किया कि आगामी चुनावों के लिए जातिगत समीकरण साधने और वोट बैंक मजबूत करने के लिए RSS अपने चार प्रचारकों को भेजेगा। इस रणनीति का उद्देश्य जातिगत वर्गों को एकजुट करके भाजपा के पक्ष में लामबंद करना है, जिससे आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके।
आरएसएस की नई रणनीति: “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे”
इस बैठक में यूपी के लिए ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ और ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा तय किया गया। भाजपा और संघ का मानना है कि यूपी के सभी जातीय समूहों, विशेषकर दलित, पिछड़े और अगड़े वर्गों को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर एक मंच पर लाने से उनकी जीत पक्की हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि संघ की योजना जातियों को साधने के साथ-साथ सोशल मीडिया के जरिए बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार करने की भी है, जिससे इस नारे की गूंज हर वर्ग तक पहुंच सके।
सह-संगठन मंत्रियों की नियुक्ति का प्रस्ताव
भाजपा संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए सह-संगठन मंत्रियों की नियुक्ति करेगी, जो संघ और भाजपा के बीच समन्वय को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। ये मंत्री नियमित रूप से जिलों के संगठनात्मक कार्यों का निरीक्षण और मार्गदर्शन करेंगे। संघ के तीन से चार प्रचारकों को इन पदों पर नियुक्त करने का प्रस्ताव है ताकि जमीन स्तर पर कामकाज की गति तेज हो और संगठन का प्रभाव व्यापक स्तर पर फैले।
संघ, भाजपा और योगी सरकार की एकजुटता
इस बैठक में संघ से जुड़े मुद्दों पर विशेष चर्चा हुई। RSS ने सरकार से अपेक्षा जताई है कि अनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं को निगम, आयोग और बोर्ड में समायोजित किया जाएगा, ताकि जमीनी स्तर पर संगठन के विचारों को मजबूती से प्रसारित किया जा सके। RSS के अनुसार, सरकार के समर्थन से वह अपने संगठन का विस्तार करेगा। शताब्दी वर्ष के दौरान हर न्याय पंचायत में संघ की शाखा खोलने की योजना भी इस बैठक में चर्चा का मुख्य विषय रही।
आरएसएस के शताब्दी वर्ष में सरकार का सहयोग
2025 में RSS का शताब्दी वर्ष है, और इस मौके पर संघ ने अपने विस्तार के लिए योगी सरकार से सहयोग मांगा है। संघ की योजना हर न्याय पंचायत तक अपनी शाखाओं का विस्तार करना है, जिसमें सरकार और भाजपा का सहयोग अपेक्षित है। इसके अलावा, RSS ने स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर भी योगी सरकार से अपना समर्थन देने की अपील की है।
उपचुनावों के लिए व्यापक तैयारियां
बैठक के दौरान दोनों डिप्टी सीएम और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से उपचुनावों की तैयारियों पर फीडबैक लिया गया। भाजपा का मानना है कि उपचुनाव में इस रणनीति का व्यापक असर देखने को मिलेगा। संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ संघ के स्वयंसेवक भी मतदान के दिन पोलिंग बूथों तक मतदाताओं को लाने में मदद करेंगे।
“योगी और मोदी के ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ का यह नारा राष्ट्रीय राजनीति में भी चर्चा का विषय बन चुका है। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर संघ और भाजपा की यह नई रणनीति जातीय समीकरणों को साधकर हिंदुत्व के एजेंडे को एक नई दिशा देने की कोशिश है।”