तमकुहीराज (कुशीनगर)।
राजापाकड़ जल संकट ने मई की तपती गर्मी में ग्रामीणों की परेशानी और गुस्से को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। एक वर्ष से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीणों का सब्र टूट गया और उन्होंने मंगलवार को शिव मंदिर परिसर में प्रदर्शन कर शासन और प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दे डाली।
ग्राम पंचायत राजापाकड़ के अलावा सेमरा हर्दोपट्टी, तारविशुनपुर और खलवापट्टी की कुल लगभग 18 हजार की आबादी, वर्ष 2014-15 में बने एक ओवरहेड टैंक से जलापूर्ति पर निर्भर थी। यह टैंक न्यू पीएचसी सेमरा हर्दोपट्टी के समीप 2.86 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया था, जिसकी क्षमता 4.5 किलोलीटर थी। लगभग 30 किमी लंबी पाइपलाइन से दर्जनों पुरवों में जल आपूर्ति सुनिश्चित की गई थी।
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लेकिन एक वर्ष पूर्व पोखरा किनारे की पाइपलाइन के नीचे की मिट्टी मछलियों द्वारा कटने से राजापाकड़ को जाने वाली मुख्य लाइन पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। इसके कारण चार पुरवों में जलापूर्ति पूरी तरह बंद हो गई है, जबकि अन्य इलाकों में टैंक के खराब वाल्व के कारण जल आपूर्ति बेहद अनियमित हो गई है।

राजापाकड़ जल संकट पर ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय लापरवाही के चलते अब तक कोई मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया गया है। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों में दिनेश्वर यादव, राजनारायण मिश्र, डॉ. विजय श्रीवास्तव, हरेंद्र यादव सहित कई अन्य लोगों ने कहा कि अब केवल आश्वासन नहीं चलेगा, यदि शीघ्र जलापूर्ति बहाल नहीं हुई तो व्यापक जनांदोलन होगा।
इस संबंध में जलनिगम के अवर अभियंता हर्ष भट्ट ने जानकारी दी कि पोखरे को मनरेगा योजना से भरवाने की व्यवस्था की जा रही है और बुधवार को स्थलीय निरीक्षण कर स्थायी समाधान खोजने का प्रयास होगा।
हालांकि ग्रामीणों की मांग स्पष्ट है—अब उन्हें ठोस कार्रवाई और नलों से बहता पानी चाहिए, वादे नहीं।