 ऋषिकेश। श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय में नये सत्र के प्रारम्भ होने पर 51 नये ऋषिकुमारों का उपनयन संस्कार कराने के उपरान्त प्रवेश दिया। आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी के सानिध्य में उपनयन संस्कार वेदमंत्रोच्चारण के बीच महाविद्यालय के प्रधानाचार्य मायाराम रतूड़ी ने कराया।  इस अवसर पर ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाने में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन आज संस्कृत को पढ़ने व जानने वाले बच्चों का निरन्तर अभाव होता जा रहा है। जिससे संस्कृत भाषा पर भी संकट के बादल मण्डरा रहे हैए जिसे बचाने के लिए हिन्दू समाज से जुडे़ लोगों को अपने बच्चों को संस्कृत पढ़ाया जाना अत्यन्त आवश्यक है।  इस अवसर पर विनोद अग्रवाल, किशन शर्मा, राम अवतार गुप्ता, प्रदीप शर्मा, नीरज बड़ोनी, सतेन्द्र भट्टए, प्रेमचन्द गोयल, धीरज जुगलान सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
ऋषिकेश। श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय में नये सत्र के प्रारम्भ होने पर 51 नये ऋषिकुमारों का उपनयन संस्कार कराने के उपरान्त प्रवेश दिया। आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी के सानिध्य में उपनयन संस्कार वेदमंत्रोच्चारण के बीच महाविद्यालय के प्रधानाचार्य मायाराम रतूड़ी ने कराया।  इस अवसर पर ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाने में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन आज संस्कृत को पढ़ने व जानने वाले बच्चों का निरन्तर अभाव होता जा रहा है। जिससे संस्कृत भाषा पर भी संकट के बादल मण्डरा रहे हैए जिसे बचाने के लिए हिन्दू समाज से जुडे़ लोगों को अपने बच्चों को संस्कृत पढ़ाया जाना अत्यन्त आवश्यक है।  इस अवसर पर विनोद अग्रवाल, किशन शर्मा, राम अवतार गुप्ता, प्रदीप शर्मा, नीरज बड़ोनी, सतेन्द्र भट्टए, प्रेमचन्द गोयल, धीरज जुगलान सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
 
		
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