पिछले वर्षो में अफगानिस्तान में चले गृहयुद्ध और आतंकवाद के चलते हजारों अफगानी नागरिक देश छोड़कर चले गए थे जिनकी घर वापसी होना शुरू हो गई है। नए साल के पहले हफ्ते में ही ईरान व पाकिस्तान से 9400 अफगानी लोग अपने वतन को लौटे हैं, लेकिन नए लोगों के आने से अफगानिस्तान पर दबाव बढ़ने से संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी इंटरनेशनल ऑर्गेनाजइजेशन फॉर माइग्रेशन के मुताबिक युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान पहले ही संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में वतन को वापसी कर रहे लोगों के कारण नई दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। इस महीने वतन लौटने वालों में अधिकांश ऐसे युवा हैं जिन्हें ईरान से निर्वासित किया गया है।
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ये लोग यूरोपीय देशों में पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तान ने भी स्थानीय लोगों के बीच प्रवासियों को लेकर बढ़ रहे गुस्से को देखते हुए देश में अवैध रूप से रह रहे अफगानों पर उनके देश लौटने का दबाव बढ़ा दिया है।
सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के साथ है जो पंजीकृत नहीं हैं
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता मैथ्यू ग्रेडन का कहना है कि सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के साथ है जो पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे लोग सहायता एजेंसियों से मिलने वाली मदद के भी हकदार नहीं हो पाते और सरकार की ओर से शिक्षा व जमीन की मदद भी नहीं पा सकते हैं।
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आईओएम का कहना है कि अगले दो महीनों में वतन वापसी करने वाले ऐसे लोगों की संख्या बढ़ भी सकती है। अनुमान है कि 2017 के अंत तक यहां 5 लाख अफगान लौट सकते हैं जो अपंजीकृत होंगे। ग्रेडन कहते हैं कि देश अब भी युद्ध से जूझ रहा है और अर्थव्यवस्था व सेवाओं पर खासा दबाव है।