न्यूयॉर्क । आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को बैन करने के संबंध में भारत को एक अहम कूटनीतिक सफलता मिली है।
अमेरिका में ट्रंप के नेतृत्व में नए प्रशासन ने मसूद अजहर को बैन करने के लिए यूएन का रुख किया है। हालांकि चीन ने इस कदम का विरोध किया है।
भारत लंबे समय से पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को बैन करने की मांग कर रहा है।
पिछले दिनों चीन ने यूएन में मसूद अजहर को बैन करने के प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगाने के बाद दिसंबर में स्थाई रोक लगा दी थी।
इसके बाद यह मामला तबतक के लिए ठंडे बस्ते में चला गया था जबतक संयुक्त राष्ट्र में 15 देशों के सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद का कोई सदस्य फिर से प्रस्ताव नहीं लाता।
अमेरिका सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों में से एक है। अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध कमिटी के सामने एक प्रस्ताव पेश किया है।
इसमें मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करते हुए उसपर बैन की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक चीन ने इस प्रस्ताव को एक बार फिर होल्ड कर दिया है।
अमेरिका आतंकवाद फैलाने मे मदद करता है आतंकवाद के खात्मे का तो सिर्फ दिखावा करता है| आतंकवाद का खात्मा कर देगा तो अमेरिका को अरब से भागना पड़ेगा| ओर ना ही हथियार बेच पायेगा
अब जबकि अमेरिका ने मसूद अजहर पर बैन लगाने के लिए यूएन का रुख किया है तो एक बार फिर इस फैसले के हक में संभावना बनती दिख रही है। हालांकि मसूद पर चीन के अड़ियल रवैये में किसी तरह का बदलाव नजर नहीं आ रहा है।
सिक्यॉरिटी काउंसिल में सिर्फ चीन ही यह रोक लगा रहा है। मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर यूएन पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है।
यूएन द्वारा बैन लगाए जाने पर अजहर की संपत्तियां जब्त हो जातीं और उसके यात्रा करने पर पाबंदी होती। भारत ने कहा है कि इस प्रस्ताव को चीन के अलावा प्रतिबंध लगाने वाली कमिटी के सभी सदस्यों का जबरदस्त समर्थन मिला था।
पिछले दिनों पाकिस्तान ने मुंबई हमलों के मास्टमाइंड और जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद को नजरबंद किया है। ऐसा कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन के दबाव में पाकिस्तान को यह कदम उठाना पड़ा है।
ऐसे में मसूद अजहर पर अमेरिका का यह कदम आगे इस दबाव में और भी इजाफा कर सकता है। अमेरिका में दक्षिण एशियाई मामलों के एक थिंक टैंक ने भी ट्रंप प्रशासन को पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है।