नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को भारत मंडपम में आयोजित तीन दिवसीय अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। यह महोत्सव पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समर्पित है, जिसमें पारंपरिक कला, शिल्प और सांस्कृतिक प्रथाओं की झलक देखने को मिलेगी।
शिल्प और संस्कृति का अनोखा संगम
यह पहली बार है जब भारत मंडपम में इस प्रकार का आयोजन हो रहा है। 6 से 8 दिसंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में पूर्वोत्तर के 250 से अधिक कारीगर और उद्यमी हिस्सा लेंगे।
यहां हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि-बागवानी उत्पादों के साथ-साथ 34 जीआई टैग वाले विशेष उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। राज्य-विशिष्ट मंडप और एरी-मुगा सिल्क गैलरी जैसे आकर्षण दर्शकों को संस्कृति से जोड़ने का अवसर देंगे।
तकनीकी सत्रों से नई दिशा
महोत्सव के दौरान महिला नेतृत्व, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, खेल, कला और संस्कृति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही, ‘विकसित भारत के लिए पूर्वोत्तर की भूमिका’ पर विशेष सत्र महोत्सव का प्रमुख आकर्षण होगा।
पूर्वोत्तर की अनमोल धरोहर का मंच
इस महोत्सव का उद्देश्य न केवल सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करना है, बल्कि पूर्वोत्तर भारत की अनूठी पहचान को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर सामने लाना भी है। शिल्पकारों और उद्यमियों के लिए यह आयोजन नए अवसरों के द्वार खोलने वाला साबित होगा।
पूर्वोत्तर की अष्टलक्ष्मी के रंगों से सजेगा भारत मंडपम
अष्टलक्ष्मी महोत्सव में शामिल होकर दर्शक न केवल पूर्वोत्तर की कला और संस्कृति का आनंद ले पाएंगे, बल्कि इसकी समृद्ध विरासत के प्रति अपनी कनेक्टिविटी भी महसूस करेंगे। यह आयोजन पूर्वोत्तर को विकसित भारत के निर्माण में एक अहम भागीदार के रूप में स्थापित करने का एक और कदम है।
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