मणिपुर में 10 दिनों से लापता मैतेई समुदाय के 56 वर्षीय व्यक्ति लैशराम कमलबाबू सिंह की तलाश में सेना ने 2,000 से अधिक जवानों को तैनात किया है।
असम के कछार जिले के मूल निवासी कमलबाबू इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे और 57वीं माउंटेन डिवीजन के लेइमाखोंग सैन्य स्टेशन में सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) के एक ठेकेदार के लिए सुपरवाइजर के रूप में काम करते थे।
मुख्यमंत्री को मिला अहम सबूत
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि उन्हें एक ‘महत्वपूर्ण सबूत’ मिला है, जो यह संकेत देता है कि कमलबाबू कांगपोकपी जिले के लेइमाखोंग स्थित सेना के शिविर से गायब हुए थे। यह सबूत संयुक्त कार्रवाई समिति द्वारा सौंपा गया, जिसे कमलबाबू की गुमशुदगी के बाद 25 नवंबर को गठित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा, “कमलबाबू को अंतिम बार 57वीं माउंटेन डिवीजन मुख्यालय, लेइमाखोंग में देखा गया था।” मामले को लेकर क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
सेना का बयान
भारतीय सेना के मुताबिक, गुमशुदा व्यक्ति की तलाश में व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है।
स्थानीय लोगों में रोष
लैशराम कमलबाबू सिंह की गुमशुदगी ने स्थानीय समुदाय के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं और गुमशुदगी के पीछे संभावित कारणों की जांच की मांग कर रहे हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और सुरक्षा बल पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं। अब देखना होगा कि इस रहस्यमय गुमशुदगी का पर्दाफाश कब होता है।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal