“बांग्लादेश जांच आयोग ने 3500 से अधिक गुमशुदा लोगों के मामलों में भारत की संलिप्तता का दावा किया है। यह आरोप शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान जबरन गुमशुदगी के मामलों से जुड़ा है।”
ढाका। बांग्लादेश के जांच आयोग ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। आयोग का कहना है कि बांग्लादेश में जबरन गुमशुदगी के हजारों मामलों के पीछे भारत का हाथ हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के शासनकाल (2009-2023) के दौरान 3500 से अधिक लोग जबरन गायब कर दिए गए। इन मामलों में भारतीय खुफिया एजेंसियों की भूमिका होने का आरोप लगाया गया है।
आयोग का क्या कहना है?
जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शेख हसीना के नेतृत्व में चल रही सरकार के समय में जबरन गुमशुदगी के मामलों में अचानक वृद्धि हुई। यह मामले राजनीतिक विरोधियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों से जुड़े हैं। आयोग का दावा है कि कुछ गायब हुए व्यक्तियों को भारत ले जाया गया और वहां हिरासत में रखा गया।
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और मनगढ़ंत बताया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता और यह आरोप दोनों देशों के संबंध खराब करने की साजिश हो सकते हैं।
बांग्लादेश की राजनीति में तनाव
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले यह मुद्दा राजनीतिक लाभ के लिए उठाया जा रहा है। शेख हसीना सरकार पहले से ही विपक्षी दलों के निशाने पर है, और यह विवाद उनकी छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है।
सवालों के घेरे में सुरक्षा एजेंसियां
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियां और अंतरराष्ट्रीय खुफिया तंत्र इन गुमशुदगी के मामलों में सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं। आयोग ने भारत की एजेंसियों पर भी सवाल उठाए हैं, हालांकि आरोपों की पुष्टि के लिए अब तक कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है।
भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पर असर
यह आरोप दोनों देशों के रिश्तों को तनावपूर्ण बना सकता है। भारत और बांग्लादेश के बीच हाल के वर्षों में कई मुद्दों पर सहयोग देखा गया है, लेकिन इस तरह के विवाद द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर कर सकते हैं।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल