Saturday , February 22 2025

राजनीति

पीएम मोदी के दौरे से जागा राजस्थान, कांग्रेस के क्षत्रपों को अपने साथ लाएगी भाजपा

पीएम मोदी के दौरे से जागा राजस्थान, कांग्रेस के क्षत्रपों को अपने साथ लाएगी भाजपा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे ने राजस्थान भाजपा में नये जोश और ऊर्जा का संचार कर दिया है। जयपुर में मोदी की सभा के दो दिन बाद सोमवार को भाजपा ने कांग्रेस के क्षत्रपों को पार्टी में शामिल करने की रणनीति बनाई है। भाजपा की रणनीति है कि अगले दो माह …

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अमित शाह ने सोशल मीडिया की जगाई अलख, विपक्ष को मिलेगा मुहतोड़ जवाब

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को कई दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के कार्यकर्ताओं को साइबर वारियर करार देते कहा कि सोशल मीडिया में इतनी ताकत है कि वह पूरे परिदृश्य को बदल सकता है। शाह ने पार्टी की सोशल मीडिया सेल को 2019 के चुनाव के ध्यानार्थ उचित आंकड़ों के आधार पर विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब देने को कहा है। भाजपा के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए रविवार को अमित शाह ने कहा कि भाजपा का सुनहरा दौर आना अभी बाकी है। चूंकि दक्षिणी राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल को भी अब भगवा दायरे में आना बाकी है। भाजपा के एक कार्यकर्ता ने बताया कि अमित जी ने सोशल मीडिया के कार्यकर्ताओं को 2019 के आम चुनावों के लिए तैयार रहने को प्रेरित किया। उन्होंने हम सबसे कहा कि हम सब खुद को अपडेट रखने पर ध्यान दें। ताकि विपक्ष को उचित आंकड़ों के साथ जवाब दें। ‘गोला-बारूद’ लेकर सोशल मीडिया पर लड़ाई के लिए तैयार रहें: शाह यह भी पढ़ें बैठक में भाग लेने वाले एक कार्यकर्ता ने बताया कि शाह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वह सभी राज्य सरकारों के प्रदर्शन का केंद्र सरकार के साथ तुलनात्मक विश्लेषण करें और उसे आम लोगों तक ले जाएं। अगर शरद पवार (राकांपा प्रमुख) किसानों के बारे में बात करें तो हमें (आंकड़ों के साथ) यह कहना होगा कि आपके समय में कितने किसानों ने आत्महत्या की थी और फडणवीस सरकार के कार्यकाल में कितनों ने की। फडणवीस सरकार के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या में 35 फीसदी की कमी आई है। बैठक में शामिल हुए एक अन्य कार्यकर्ता ने अमित शाह के हवाले से बताया कि पिछले चार सालों में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने लोगों के लिए बहुत काम किया है। इसलिए कार्यकर्ता पूरे गौरव के साथ मतदाताओं तक जा सकते हैं। अमित शाह ने कहा कि भाजपा अधिकतम राज्यों में सत्ता में है और केद्र में भी उसकी सत्ता है। भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का भी गौरव हासिल है। उन्होंने कहा, 'मैं अब भी नहीं मानता कि यह भाजपा का सुनहरा दौर है। चूंकि भाजपा का विजय रथ अभी पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी पहुंचाना है।' शाह ने कार्यकर्ताओं को हरेक मिनट के हिसाब से योजना बनाने को कहा। साथ ही आंकड़ों के विश्लेषण के साथ आंतरिक संचार भी और बेहतर बनाना सुनिश्चित करने को कहा है। मोदी की नीतियों में चाणक्य का अर्थतंत्र पीएम मोदी भाजपा की संयुक्त कार्यसमिति को आज करेंगे संबोधित, शाह भी होंगे मौजूद यह भी पढ़ें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पुणे में आचार्य चाणक्य जीवन और कार्य विषय पर आयोजित परिचर्चा में कहा कि आर्य चाणक्य के विचार और उनकी नीतियां जितनी प्रासंगिक 2400 वर्ष पूर्व थीं, उतनी ही आज भी हैं और हजारों साल बाद भी उतने ही प्रासंगिक रहेंगी। प्रधानमंत्री मोदी की लोक-कल्याणकारी नीतियों में आर्य चाणक्य का अर्थतंत्र झलकता है। चाणक्य ने ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में ही राज शासन में परिवारवाद को खत्म करने की परिकल्पना की थी। दुनिया के सभी राष्ट्र जियो पॉलिटिकल देश हैं, केवल भारत ही जियो कल्चरल देश है। चाणक्य के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम भारत माता को पुन: विश्वगुर के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित हैं।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को कई दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के कार्यकर्ताओं को साइबर वारियर करार देते कहा कि सोशल मीडिया में इतनी ताकत है कि वह पूरे परिदृश्य को बदल सकता है। शाह ने पार्टी की सोशल मीडिया सेल को 2019 …

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अब दिल्ली में सेवा विभाग के हक की लड़ाई में केंद्र सरकार भी

अब दिल्ली में सेवा विभाग के हक की लड़ाई में केंद्र सरकार भी

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और अनिल बैजल का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. हाल ही में केजरीवाल और अनिल बैजल की बैठक के बाद दोनों के बीच ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर एक बार फिर से टकराव देखने को मिल रहा है. अभी इस बीच …

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राहुल गाँधी को क्या बताना चाहते थे भय्यू जी महाराज…

राहुल गाँधी को क्या बताना चाहते थे भय्यू जी महाराज...

मध्यप्रदेश में देश के जाने माने संत और समाजसेवी भय्यू जी महाराज को आत्महत्या किए हुए एक महीना बीत चूका है. इस मामले में अब युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव चंद यादव के एक बयान ने इस मामले में सनसनी फैला दी है. उन्होंने अपने बयान में कहा कि भय्यू …

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गठबंधन पर जोगी की राय

गठबंधन पर जोगी की राय

बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लगते हुए  छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सुप्रीमो अजीत जोगी ने कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती से उनकी पारिवारिक मुलाकात ही हुई है. इसके राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए. दिल्ली में बीते …

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अदालत पहुंचे शिवराज सिंह

अदालत पहुंचे शिवराज सिंह

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता केके मिश्रा ने 7 मार्च 2015 को भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि व्यापमं के जरिए सीएम शिवराज ने की ससुराल गोंदिया से 19 लोगों का परिवहन आरक्षक भर्ती में चयन हुआ है. इस बात सीएम शिवराज ने दिल से ले …

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जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के लिए सभी पार्टी लगा रहे अपना जोर

जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के लिए सभी पार्टी लगा रहे अपना जोर

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने के बाद जारी राजनीतिक असमंजस के बीच वीरवार को पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और पीडीपी के वरिष्ठ नेता डॉ. हसीब द्राबू की नई दिल्ली में मुलाकात हुई। अपने संगठन में विभाजन को टालने के लिए प्रयासरत पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती …

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नहीं होते श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी तो पूर्वी पाकिस्‍तान का हिस्‍सा होता पश्चिम बंगाल

आमतौर पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष एवं ‘एक देश में एक निशान, एक विधान और एक प्रधान’ के संकल्पों को पूरा करने के लिए कश्मीर में खुद का बलिदान देने के नाते याद किया जाता है, लेकिन उनका विराट व्यक्तित्व इतने तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की ऐतिहासिक श्रृंखलाएं हैं। इतिहास में जाकर देखें तो भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत 1937 में संपन्न हुए प्रांतीय चुनावों में बंगाल में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। यह चुनाव ही डॉ. मुखर्जी के राजनीति का प्रवेश काल था। कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी और मुस्लिम लीग एवं कृषक प्रजा पार्टी को भी ठीक सीटें मिली थीं। बंगाल में लीगी सरकार का गठन हो गया। लीगी सरकार के गठन के साथ ही अंग्रेज हुकूमत अपनी मंशा में कामयाब हो चुकी थी। खुलकर किया नीतियों का विरोध PDP से गठबंधन तोड़ने के बाद पहली बार जम्मू पहुंचे अमित शाह, आज जनसभा को करेंगे संबोधित यह भी पढ़ें लीगी सरकार के समक्ष जब सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में कांग्रेस उदासीन रुख रखे हुए थी, ऐसे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी तत्कालीन नीतियों का मुखर विरोध करने वाले सदस्य थे। उन्होंने मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक नीतियों और तत्कालीन सरकार की कार्यप्रणाली का हर मोर्चे पर खुलकर विरोध किया। तत्कालीन सरकार द्वारा बंगाल विधानसभा में कलकत्ता म्युनिसिपल बिल रखा गया था, जिसके तहत मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन का प्रावधान था। इस बिल का उस दौर में अगर सर्वाधिक मुखर विरोध किसी एक नेता ने किया तो वे डॉ. मुखर्जी थे। दरअसल लीगी सरकार द्वारा हिंदू बहुल क्षेत्रों में हिंदुओं की भागीदारी को सीमित करने की यह एक साजिश थी, जिसका विरोध उन्होंने किया था। दिलाई मुस्लिम लीग के चंगुल से मुक्ति ये है नई गुजरात विधानसभा तस्वीर- 141 करोड़पति, 47 अपराधी यह भी पढ़ें वर्ष 1937 से लेकर 1941 तक फजलुल हक और लीगी सरकार चली और इससे ब्रिटिश हुकूमत ने फूट डालो और राज करो की नीति को मुस्लिम लीग की आड़ में हवा दी। लेकिन अपनी राजनीतिक सूझबूझ की बदौलत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1941 में बंगाल को मुस्लिम लीग के चंगुल से मुक्त कराया और फजलुल हक के साथ गठबंधन करके नई सरकार बनाई। इस सरकार में डॉ. मुखर्जी के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह साझा सरकार ‘श्यामा-हक कैबिनेट’ के नाम से मशहूर हुई। इस सरकार में डॉ. मुखर्जी वित्तमंत्री बने थे। श्यामा प्रसाद ने नई सरकार के माध्यम से बंगाल को स्थिरता की स्थिति में लाने की दिशा में ठोस कदम उठाना शुरू किया तो यह बात ब्रिटिश हुकूमत को रास नहीं आई। अंग्रेजों की अस्थिरता फैलाने की कोशिश जानें, कैसे समाजवादी चाल से करोड़ों के मालिक बन बैठे लालू यादव एंड संस यह भी पढ़ें अंग्रेज लगातार बंगाल को अस्थिर करने की कोशिशों में लगे रहे। मिदनापुर त्रसदी से जुड़े एक पत्र में उन्होंने बंगाल के गवर्नर जॉन हर्बर्ट को कहा था, ‘मैं बड़ी निराशा और विस्मय से कहना चाहूंगा कि पिछले सात महीनों के दौरान आप यह बताते रहे कि किसी भी कीमत पर मुस्लिम लीग से समझौता कर लेना चाहिए था।’ ब्रिटिश हुकूमत की सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली नीतियों के प्रति मन में उठे विरोध के भाव ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को त्यागपत्र देने पर मजबूर कर दिया। लेकिन उन्होंने मुस्लिम लीग को बंगाल की सत्ता से किनारे करके अंग्रेजों की मंशा पर पानी फेरने का काम तो कर ही दिया था। बंगाल विभाजन के दौरान हिंदू अस्मिता की रक्षा में भी डॉ. मुखर्जी का योगदान बेहद अहम माना जाता है। तो पश्चिम बंगाल होता पूवी पाकिस्‍तान का हिस्‍सा गए लालू यादव साढ़े तीन साल के लिए जेल, सिर्फ 10 प्वाइंट्स में पढ़ें चारा घोटाले का पूरा मामला यह भी पढ़ें हिंदुओं की ताकत को एकजुट करके डॉ. मुखर्जी ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाल का पूरा हिस्सा जाने से रोक लिया था। अगर डॉ. मुखर्जी नहीं होते तो आज पश्चिम बंगाल भी पूर्वी पाकिस्तान (उस दौरान के) का ही हिस्सा होता, लेकिन हिंदुओं के अधिकारों को लेकर वे अपनी मांग और आंदोलन पर अडिग रहे, लिहाजा बंगाल विभाजन संभव हो सका। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने तो स्वयं महात्मा गांधी एवं सरदार पटेल ने डॉ. मुखर्जी को तत्कालीन मंत्रिपरिषद में शामिल करने की सिफारिश की और नेहरू द्वारा डॉ. मुखर्जी को मंत्रिमंडल में लेना पड़ा। डॉ. मुखर्जी देश के प्रथम उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बने। उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में उन्होंने कम समय में उल्लेखनीय कार्य किए। रखी एक मजबूत बुनियाद छोटे से कार्यकाल में डॉ. मुखर्जी ने भावी भारत के औद्योगिक निर्माण की दिशा में जो बुनियाद रखी उसको लेकर किसी के मन में को संदेह नहीं होना चाहिए। प्रशांत कुमार चटर्जी की किताब ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एंड इंडियन पॉलिटिक्स’ (पृष्ठ संख्या 222 से 259) में उनके द्वारा बेहद कम समय में किए औद्योगिक विकास के कार्यो का विस्तार से उल्लेख है। भावी भारत के औद्योगिक निर्माण की जो कल्पना डॉ. मुखर्जी ने उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री रहते हुए की थी, उसके परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास के क्षेत्र में देश ने कई प्रतिमान स्थापित किए। नीतिगत स्तर पर उनके द्वारा किए गए प्रयास भारत के औद्योगिक विकास में अहम कारक बनकर उभरे। खादी ग्रामोद्योग की स्थापना उनके कार्यकाल में ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट बोर्ड, ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग की स्थापना हुई थी। जुलाई 1948 में इंडस्टियल फिनांस कॉरपोरेशन की स्थापना हुई। डॉ. मुखर्जी के कार्यकाल में देश का पहला भारत निर्मित लोकोमोटिव एसेंबल्ड पार्ट इसी दौरान बना और चितरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री भी शुरू की गई। चटर्जी की किताब में इस बात का बड़े स्पष्ट शब्दों में जिक्र है कि भिलाई प्लांट, सिंदरी फर्टिलाइजर सहित कई और औद्योगिक कारखानों की परिकल्पना मंत्री रहते हुए डॉ. मुखर्जी ने की थी, जो बाद में पूरी भी हुईं। हालांकि कुछ साल बाद उन्होंने इस पद से भी इस्तीफा दे दिया। वैकल्पिक राजनीति की कुलबुलाहट दरअसल लियाकत-नेहरू पैक्ट को वे हिंदुओं के साथ छलावा मानते थे। नेहरू की नीतियों के विरोध में एक वैकल्पिक राजनीति की कुलबुलाहट डॉ. मुखर्जी के मन में हिलोरे मारने लगी थी। आरएसएस के तत्कालीन सर संघचालक गुरुजी से सलाह करने के बाद 21 अक्टूबर, 1951 को दिल्ली में एक छोटे से कार्यक्रम में भारतीय जनसंघ की नींव पड़ी और डॉ. मुखर्जी उसके पहले अध्यक्ष चुने गए। 1952 में देश में पहला आम चुनाव हुआ और जनसंघ तीन सीटें जीत पाने में कामयाब रहा। डॉ. मुखर्जी भी बंगाल से जीत कर लोकसभा में आए। वे सदन में नेहरू की नीतियों पर तीखा चोट करते थे। शायद अगर डॉ. मुखर्जी न होते तो एक स्वस्थ लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष की अवधारणा की नींव नहीं रखी गई होती।

आमतौर पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष एवं ‘एक देश में एक निशान, एक विधान और एक प्रधान’ के संकल्पों को पूरा करने के लिए कश्मीर में खुद का बलिदान देने के नाते याद किया जाता है, लेकिन उनका विराट व्यक्तित्व इतने तक सीमित नहीं है, …

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एमएसपी का डेढ़ गुना बढ़ना ऐतिहासिक- अमित शाह

एमएसपी का डेढ़ गुना बढ़ना ऐतिहासिक- अमित शाह

कल बुधवार को सरकार ने एमएसपी को डेढ़ गुना का चुनाव के ठीक पहले किसानों को रिझाने का मास्टर कार्ड खेला है. केंद्र की मोदी सरकार ने धान, दाल, मक्का जैसी 14 खऱीफ फसलों के लिए एमएसपी लागत का डेढ़ गुना करने का फैसला लिया है. एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट …

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राहुल का अमेठी दौरा : आज किसानों के साथ राहुल की पंचायत

राहुल का अमेठी दौरा : आज किसानों के साथ राहुल की पंचायत

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दो दिवसीय दौरे पर हैं. आज उनका अमेठी दौरे का दूसरा और अंतिम दिन हैं. यहां आज राहुल गांधी किसानों के साथ बैठकर समय बिता सकते हैं. इसके लिए ख़बरें है कि राहुल गांधी किसान पंचायत भी कर सकते …

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