देहरादून सचिवालय में बायोमेट्रिक हाजिरी व्यवस्था के पहले ही दिन तकनीकी खामियों के कारण अफरा-तफरी मच गई। अधिकारियों और कर्मचारियों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा, जिससे मैनुअल हाजिरी की ओर लौटना पड़ा।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन द्वारा बायोमेट्रिक हाजिरी को अनिवार्य करने के आदेश के बाद, सचिवालय में लगभग 1,700 कर्मचारियों के लिए 125 से अधिक बायोमेट्रिक मशीनें स्थापित की गई थीं। इस प्रणाली के तहत कर्मचारियों को सुबह 9:30 बजे और शाम 6:00 बजे अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है। हालांकि, पहले दिन ही मशीनों में तकनीकी समस्याएं सामने आईं, जिससे कर्मचारियों को मैनुअल हाजिरी पर निर्भर होना पड़ा।
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इस नई व्यवस्था का उद्देश्य कर्मचारियों में अनुशासन और समय की पाबंदी सुनिश्चित करना है। हालांकि, तकनीकी खामियों के कारण कर्मचारियों में असंतोष देखा गया। कई कर्मचारियों ने मशीनों की धीमी गति और बार-बार फिंगरप्रिंट न पहचानने की शिकायत की।
इससे पहले, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में भी बायोमेट्रिक हाजिरी प्रणाली लागू की गई थी, जहां शुरुआती दिनों में तकनीकी समस्याएं सामने आई थीं। उत्तर प्रदेश में, 1 नवंबर से बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य की गई थी, और अनुपालन न करने पर वेतन कटौती की चेतावनी दी गई थी। इसी तरह, झारखंड में भी 1 अप्रैल से सभी सरकारी कार्यालयों में बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य की गई थी।
देहरादून सचिवालय में इस नई प्रणाली के सफल क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को तकनीकी समस्याओं का शीघ्र समाधान करना होगा। कर्मचारियों की सुविधा और समय की बचत के लिए मशीनों की कार्यक्षमता बढ़ाना आवश्यक है।