“81 साल की उम्र में एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक और चेयरमैन शशिकांत रुइया का निधन। जानें उनकी नेतृत्व क्षमता, एस्सार ग्रुप की सफलता और उनके भारतीय कॉर्पोरेट जगत में योगदान की पूरी कहानी।”
नई दिल्ली। भारत के उद्योग जगत ने आज अपने एक महत्वपूर्ण स्तंभ को खो दिया। एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक और चेयरमैन शशिकांत रुइया का 81 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर 1969 में एस्सार ग्रुप की नींव रखी और इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
एस्सार ग्रुप की शुरुआत और सफलता की कहानी
एस्सार ग्रुप की स्थापना एक छोटे व्यापार के रूप में हुई, लेकिन शशिकांत रुइया के दूरदर्शी नेतृत्व ने इसे ऊर्जा, स्टील, शिपिंग, दूरसंचार और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में अग्रणी बना दिया। उनकी मेहनत और रणनीतिक सोच ने न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर एस्सार को एक विश्वसनीय ब्रांड बना दिया।
भारतीय उद्योग जगत में योगदान
शशिकांत रुइया ने न केवल हजारों लोगों को रोजगार प्रदान किया, बल्कि भारतीय उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में भी मदद की। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने भारतीय कंपनियों को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित किया।
शोक संदेश और श्रद्धांजलि
उनके निधन पर उद्योग जगत के बड़े नामों और राजनीतिक हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य प्रमुख नेताओं ने उनकी उपलब्धियों को याद करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट की।
शशिकांत रुइया का जीवन और विरासत
शशिकांत रुइया का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। 1940 के दशक में मुंबई में जन्मे, उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर एक छोटे से व्यवसाय को एक अंतरराष्ट्रीय समूह में बदल दिया। उनके नेतृत्व में, एस्सार ग्रुप ने कई बड़ी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
उनका निधन न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
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मनोज शुक्ल