“श्रीनगर के संडे मार्केट में हुए ग्रेनेड ब्लास्ट से 12 लोग घायल। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान – निर्दोषों पर हमले का कोई औचित्य नहीं। कश्मीर में लगातार हो रहे आतंकी हमले सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।”
जम्मू-कश्मीर । श्रीनगर में टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर के नजदीक संडे मार्केट में हुए ग्रेनेड ब्लास्ट से 12 लोग घायल हो गए हैं। रविवार को हुई इस घटना के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया और आतंकियों को पकड़ने के लिए सघन तलाशी अभियान शुरू किया। घायल व्यक्तियों में कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिससे घायलों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
इस घटना ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर फिर से ध्यान खींचा है। दो दिन पहले ही श्रीनगर के खान्यार में एक मुठभेड़ के दौरान सेना ने एक पाकिस्तानी आतंकी को मार गिराया था, जबकि इस ऑपरेशन में 4 जवान भी घायल हो गए थे।
अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले:
हाल के कुछ हफ्तों में, कश्मीर घाटी में आतंकियों ने कई हमले किए हैं। अक्टूबर के महीने में ही आतंकियों ने सुरक्षा बलों, प्रवासी मजदूरों, और गैर-कश्मीरियों पर हमले किए। कुछ प्रमुख घटनाएं:
28 अक्टूबर: अखनूर में आतंकियों ने आर्मी एंबुलेंस पर फायरिंग की थी, जिसमें 3 आतंकी ढेर हुए।
24 अक्टूबर: बारामूला में सेना की गाड़ी पर PAFF द्वारा हमला किया गया।
20 अक्टूबर: गांदरबल के सोनमर्ग में 7 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लश्कर के TRF ने ली।
16 अक्टूबर: शोपियां में एक गैर-स्थानीय युवक की गोली मारकर हत्या।
आतंकी हमलों पर नेताओं की प्रतिक्रियाएं
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “निर्दोषों पर हमला करने का कोई औचित्य नहीं हो सकता।” वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने सरकार को घेरते हुए कहा कि आतंकियों को मारने के बजाय गिरफ्तार किया जाना चाहिए, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या किसी एजेंसी ने घाटी में अशांति फैलाने का काम सौंपा है।
गैर-कश्मीरियों पर टारगेट किलिंग का बढ़ता खतरा
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान घाटी में अशांति फैलाने के लिए टारगेट किलिंग का सहारा ले रहा है। विशेषकर कश्मीरी पंडितों, प्रवासी मजदूरों, और स्थानीय पुलिसकर्मियों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस हिंसा का उद्देश्य आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं को बाधित करना है।
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल