“RBI ने RTGS और NEFT के लिए वेरिफिकेशन की सुविधा शुरू की, जिससे गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने की चिंता खत्म होगी। जानें कैसे यह नया फीचर डिजिटल बैंकिंग को और सुरक्षित बनाएगा।”
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अब तक RTGS (रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) और NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) सिस्टम में एक महत्वपूर्ण सुधार का ऐलान किया है। इस सुधार के तहत, अब इन दोनों सिस्टम्स में लाभार्थी के अकाउंट का नाम वेरिफाई करने की सुविधा दी जाएगी। इससे ग्राहकों को एक बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि पहले इन सिस्टम्स में पैसे ट्रांसफर करते समय सिर्फ अकाउंट नंबर और IFSC कोड के आधार पर ट्रांजेक्शन होते थे, जिससे गलत अकाउंट में पैसे जाने की संभावना बनी रहती थी।
नई सुविधा से होगा लेन-देन में सुधार:
आरटीजीएस और एनईएफटी का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है, खासकर जब किसी व्यक्ति या संस्था को बड़ी राशि ट्रांसफर करनी हो। अब इस सुधार के बाद, जब आप किसी लाभार्थी का अकाउंट नंबर और IFSC कोड दर्ज करेंगे, तो सिस्टम स्वचालित रूप से उस अकाउंट का नाम भी डिस्प्ले करेगा। इससे लेन-देन करने वाले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि पैसे सही अकाउंट में जा रहे हैं या नहीं। इस फीचर को इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल ऐप और बैंक शाखाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा।
RBI ने दी बैंकों को निर्देश:
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस नई सुविधा को 1 अप्रैल 2025 तक सभी बैंकों में लागू करने का निर्देश दिया है। आरबीआई ने यह भी साफ किया है कि यह सुविधा ग्राहकों के लिए पूरी तरह से मुफ्त होगी, और इसे लागू करते समय बैंकों को डेटा प्राइवेसी कानूनों का पूरी तरह से पालन करना होगा।
UPI जैसा फीचर RTGS और NEFT में:
इस सुविधा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह पूरी तरह से UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) जैसी सुविधाओं से मेल खाता है, जो पहले से ही उपयोगकर्ताओं को लाभार्थी का नाम वेरिफाई करने की सुविधा देता है। UPI में यह फीचर पहले से उपलब्ध था, लेकिन अब इसे आरटीजीएस और एनईएफटी के साथ भी जोड़ा जा रहा है, जिससे डिजिटल लेन-देन को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा।
क्या है RTGS और NEFT?
आरटीजीएस एक रियल-टाइम सिस्टम है, जिसका इस्तेमाल अधिक राशि के तेज ट्रांसफर के लिए किया जाता है। इसके तहत एक ग्राहक केवल चंद सेकंड में दो लाख रुपये या उससे अधिक की राशि ट्रांसफर कर सकता है। वहीं, NEFT छोटे और मध्यम साइज के लेनदेन के लिए उपयुक्त है। यह सिस्टम बैच-प्रोसेसिंग के आधार पर काम करता है और इसमें कोई न्यूनतम राशि की सीमा नहीं होती।
फायदा क्या होगा?
इस सुधार से बैंकिंग सिस्टम में सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी। ग्राहकों को अब बिना किसी चिंता के सही अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा मिलेगी। यह कदम बैंकिंग धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने में मददगार साबित हो सकता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का यह नया निर्देश डिजिटल बैंकिंग के क्षेत्र में एक अहम बदलाव साबित होगा। अब ग्राहकों को RTGS और NEFT के जरिए पैसे ट्रांसफर करते समय अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी। यह सुविधा ग्राहकों के लिए एक बड़ा फायदा लेकर आएगी और धोखाधड़ी की घटनाओं को कम करने में मदद करेगी।
“देश-दुनिया से जुड़े राजनीतिक और सामयिक घटनाक्रम की विस्तृत और सटीक जानकारी के लिए जुड़े रहें विश्ववार्ता के साथ। ताज़ा खबरों, चुनावी बयानबाज़ी और विशेष रिपोर्ट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।”
विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल