रिपोर्ट – मनोज शुक्ल
“भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जस्टिस धनंजय Y चंद्रचूड़ का रिटायरमेंट आज हो गया। सुप्रीम कोर्ट में अपने अंतिम केस की सुनवाई के बाद उन्होंने न्यायपालिका को अलविदा कहा। जानिए, उनके जीवन की प्रमुख घटनाएं, योगदान और उनके ऐतिहासिक फैसलों ने कैसे समाज को प्रभावित किया।”
धनंजय Y चंद्रचूड़: भारत के चीफ जस्टिस का अंतिम दिन और उनके ऐतिहासिक फैसलों का सफर
नई दिल्ली । भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जस्टिस धनंजय Y चंद्रचूड़ का आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था। सुप्रीम कोर्ट के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में नई दिशा और दृष्टिकोण स्थापित किए। उनके कार्यकाल में समाज, संविधान, और कानून की गहरी समझ दिखाई दी। जस्टिस चंद्रचूड़ के निर्णयों ने भारतीय समाज में संवैधानिक अधिकारों को मजबूत किया और समावेशिता की भावना को बढ़ावा दिया।
READ IT ALSO:
जीवन परिचय:
धनंजय Y चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। वे एक कानूनी पृष्ठभूमि से आते हैं, जहां उनके पिता, जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़, भी भारत के चीफ जस्टिस रह चुके हैं, जो अब तक के सबसे लंबे कार्यकाल के लिए जाने जाते हैं। मुंबई के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक करने के बाद, धनंजय ने हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएल.एम और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्हें 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट में जज नियुक्त किया गया और 2016 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति दी गई, जहाँ उन्होंने कई अहम फैसले सुनाए।
जस्टिस धनंजय Y चंद्रचूड़ के कुछ और महत्वपूर्ण फैसले:
दहेज प्रथा और महिलाओं के अधिकार (Dowry and Women’s Rights)
जस्टिस चंद्रचूड़ ने दहेज-प्रथा के खिलाफ सख्त फैसले सुनाते हुए महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाने का प्रयास किया। उनके निर्णयों ने महिलाओं के अधिकारों को और अधिक मजबूत किया।
धार्मिक स्वतंत्रता और समानता (Religious Freedom & Equality):
ट्रिपल तलाक मामले में उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाई। इस फैसले ने मुस्लिम महिलाओं को धार्मिक स्वतंत्रता और समानता की राह दी।
स्वास्थ्य का अधिकार (Right to Health):
जस्टिस चंद्रचूड़ ने स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा देते हुए कई मामलों में सरकार को जवाबदेह ठहराया। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने का निर्देश दिया।
बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार (Elderly Rights):
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बुजुर्गों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग की। उनके अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है।
कर्मचारियों के अधिकार (Employee Rights):
सरकारी और निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के अधिकारों के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कई बार आवाज उठाई। उन्होंने अनुबंधों की न्यायसंगतता और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई फैसले दिए।
देश दुनिया से जुड़ी और भी रोचक जानकारी के लिए विश्ववार्ता पर बने रहें…..
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal