जिनेवा/नई दिल्ली; 16 अक्तूबर, 2024: भारतीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने 149वीं अंतर संसदीय संघ (आईपीयू) एसेंबली के दौरान जिनेवा में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि गांधीजी की शिक्षाएं आज भी विश्व नेताओं को प्रेरित करती हैं और वैश्विक चुनौतियों का समाधान सहयोग और एकता से ही संभव है।
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संसदीय सहयोग को बढ़ावा
श्री बिरला ने जिनेवा में विभिन्न देशों के पीठासीन अधिकारियों के साथ संसदीय मुद्दों पर विचार साझा किए। स्विट्जरलैंड के नैशनल काउंसिल के प्रेसिडेंट श्री एरिक नसबामर के साथ बैठक में उन्होंने भारत और स्विट्जरलैंड के बीच 75 वर्षों की मैत्री संधि का जिक्र करते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने स्विस निवेश में बढ़ोतरी की भी आशा व्यक्त की।
थाईलैंड और आर्मीनिया के साथ द्विपक्षीय संबंध
थाईलैंड के सीनेट प्रेसिडेंट श्री मोंगकोल सुरसाज्जा के साथ चर्चा में, श्री बिरला ने व्यापार, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने थाई तीर्थयात्रियों के आध्यात्मिक संबंधों का भी उल्लेख किया।
आर्मीनिया की नैशनल एसेंबली के प्रेसिडेंट श्री एलन सिमोनियन के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। श्री बिरला ने भारत की युवा जनसंख्या और राजनीतिक स्थिरता का उल्लेख करते हुए व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाने की बात की।
मालदीव और नेपाल के साथ ऐतिहासिक संबंध
मालदीव के पीपुल्स मजलिस के स्पीकर श्री अब्दुल रहीम अब्दुल्ला से मुलाकात में, श्री बिरला ने भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ संबंधों की बात की और सर्वोत्तम संसदीय प्रथाओं को साझा करने का महत्व बताया। उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भागीदारी बढ़ाने की बात की।
नेपाल की राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष महामहिम श्री नारायण प्रसाद दहल से चर्चा में, उन्होंने साझा संस्कृति और इतिहास का उल्लेख करते हुए सांसदों के बीच संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति में नेपाल के महत्व की पुष्टि की।
श्री ओम बिरला की यह यात्रा न केवल विभिन्न देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने का प्रयास है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली की स्थिरता को भी दर्शाती है। महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रेरित होकर, उन्होंने वैश्विक चुनौतियों का सामना एकजुटता और सहयोग के माध्यम से करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस प्रकार, यह अंतर संसदीय संघ की बैठक न केवल सहयोग का मंच है, बल्कि यह विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की भी पुष्टि करती है।