सायासहारनपुर। हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर 30 सितंबर को भारतीय सेना को मिले चार शवों में एक नाम मलखान सिंह का भी है। यह नाम सहारनपुर के फतेहपुर गांव के रहने वाले मलखान सिंह का है, जो 7 फरवरी 1968 को लापता हुए थे। 56 साल बाद, उनका पार्थिव शरीर अंततः घर लौट आया, लेकिन इस मौके पर परिवार में खुशी के साथ गम भी था।
मलखान सिंह के माता-पिता और पत्नी की मौत हो चुकी है, और परिवार में अब केवल उनकी बहू, दो पोते और तीन पोती हैं। जब सेना ने पार्थिव शरीर को घर लाने की सूचना दी, तो परिवार और गांव में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन इस दुख के साथ-साथ यह संतोष भी था कि आखिरकार, इतने वर्षों बाद उन्हें अपने प्रियजन का शव मिल गया है।शहीद मलखान सिंह का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटा गया और गांव के लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
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लगभग एक हजार लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे, और ‘मलखान सिंह अमर रहें’ के नारों से माहौल गमगीन हो गया। शहीद के पोते गौतम और मनीष ने कहा कि उन्होंने अपने दादा की कहानी हमेशा सुनी है और उनका विश्वास था कि दादा एक दिन लौटेंगे।गौतम ने बताया, “मम्मी लोग बताती हैं कि वो एयरफोर्स में थे। मिशन पर जा रहे थे, तभी बर्फबारी में दबकर उनकी मौत हो गई।” उनकी बहू इंद्रो ने भी इस भावनात्मक पल को साझा करते हुए कहा, “56 साल बाद आज ससुर जी का शव आ रहा है। इतने दिन उनका कुछ पता नहीं चला। अब सब अधिकारी आ रहे हैं, उम्मीद है कि सरकार हम सबकी कुछ मदद करेगी।”शहीद मलखान सिंह की कहानी केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे देश की है, जहां उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा। अब जब उनका पार्थिव शरीर घर लौट आया है, तो परिवार उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए तैयार है, ताकि पितृपक्ष में उन्हें सच्ची मुक्ति मिल सके।
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