“सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेट एयरवेज का अंत तय हुआ। 2019 से बंद इस एयरलाइन की संपत्तियों की लिक्विडेशन प्रक्रिया का आदेश दिया गया, जिससे एयरलाइन के ऋणदाताओं और कर्मचारियों को राहत मिलेगी।“
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए भारतीय विमानन कंपनी जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों की लिक्विडेशन का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि कंपनी की सभी संपत्तियों को बेचकर उसके कर्जदाताओं और कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी। इस फैसले के साथ ही जेट एयरवेज का पुनरुद्धार करने की सभी संभावनाओं पर पूर्ण विराम लग गया है।
2019 में ऑपरेशन बंद करने के बाद, जेट एयरवेज पर कई बैंकों का 4783 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसमें सबसे ज्यादा ऋण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का था। एनसीएलटी द्वारा शुरू की गई समाधान प्रक्रिया के अंतर्गत जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) को जेट एयरवेज का स्वामित्व दिया गया था, परंतु इस कंसोर्टियम द्वारा समाधान योजना लागू करने में असमर्थता जताई गई, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने लिक्विडेशन का आदेश दिया।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, परिसंपत्तियों को बेचकर प्राप्त राशि का उपयोग कंपनी के ऋण और देनदारियों को चुकाने के लिए किया जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय ऋणदाताओं और कर्मचारियों के हित में लिया गया है।
जेट एयरवेज के बंद होने के पीछे पांच प्रमुख कारण:
- एयर सहारा का अधिग्रहण, जो एक घाटे का सौदा साबित हुआ।
- कंपनी का स्ट्रैटेजिक निवेशकों को आकर्षित करने में विफल रहना।
- कड़ी प्रतिस्पर्धा में इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी कम लागत वाली एयरलाइनों से मुकाबला नहीं कर पाना।
- नरेश गोयल द्वारा खराब प्रबंधन और कंपनी की वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण न रख पाना।
- देनदारियों के बढ़ते भार और आय के स्रोतों में गिरावट।
जेट एयरवेज के समाधान की विफलता और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने का आदेश देते हुए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का उपयोग किया। कोर्ट के अनुसार, जालान-कालरॉक कंसोर्टियम पांच वर्षों में भी 4783 करोड़ रुपये का भुगतान करने और समाधान योजना लागू करने में विफल रहा है। इस निर्णय के साथ ही एयरलाइन की संपत्तियों को बेचा जाएगा और इससे प्राप्त राशि का उपयोग इसके ऋणदाताओं के बकाया चुकाने में किया जाएगा।
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल
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