पहलगाम बायसरन घाटी आतंकी हमला: 20 दिन की रेकी, लोकल सपोर्ट और सुरक्षा खामियों का फायदा उठाकर 26 की जान ली
पहलगाम बायसरन घाटी आतंकी हमला न केवल जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि आतंकियों की योजना कितनी सटीक और सोच-समझकर बनाई गई थी। जांच एजेंसियों को जो शुरुआती इनपुट्स मिले हैं, उनके मुताबिक इस हमले की तैयारी 20 दिन पहले ही शुरू कर दी गई थी।
आतंकियों ने पहलगाम के 3 किलोमीटर दायरे में आने वाले हर टूरिस्ट स्पॉट की रेकी की। इसमें होटल्स, एम्यूजमेंट पार्क, गार्डन और घाटियां शामिल थीं। सबसे पहले आतंकियों का निशाना होटल्स थे, लेकिन वहां CRPF की तैनाती देख उन्होंने अपना प्लान बदला। इसके बाद उन्होंने पार्क को टारगेट करने की कोशिश की, लेकिन यहां CCTV कैमरे और कुछ निजी सुरक्षा गार्ड्स मौजूद थे।
आखिरकार, आतंकियों ने बायसरन घाटी को चुना, जो न सिर्फ सुरक्षा दृष्टि से कमजोर थी, बल्कि वहां तक पहुंचने के लिए केवल पैदल या खच्चरों का ही सहारा था। CCTV कैमरे नहीं थे, रास्ते सुनसान थे और ऊंचाई के चलते आर्मी या पुलिस की गश्त भी नहीं होती।
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क्यों चुनी गई बायसरन घाटी?
बायसरन घाटी पहलगाम से 6-7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह पहलगाम की सबसे ऊपरी और सुनसान घाटियों में से एक मानी जाती है। यहां तक वाहन नहीं जा सकते, और वहां कोई स्थायी पुलिस चौकी भी नहीं है। सुरक्षा के लिहाज से यह इलाका पूरी तरह खुला है।
NIA की जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने इस क्षेत्र की 3 बार रेकी की थी। हर बार अलग-अलग समय पर जाकर उन्होंने वहां की भीड़, पुलिस की मौजूदगी और रेस्पॉन्स टाइम का मूल्यांकन किया। सबसे अहम बात यह रही कि बायसरन घाटी में कोई डिजिटल निगरानी सिस्टम नहीं था, जिससे हमले के बाद आतंकियों का पीछा करना मुश्किल हो गया।
हाशिम मूसा की साजिश
इस हमले के पीछे हाशिम मूसा नामक आतंकी का हाथ बताया जा रहा है, जो पहले पाकिस्तानी सेना में कमांडो रह चुका है। खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाशिम मूसा ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से LOC पार की और कुपवाड़ा के रास्ते घाटी में दाखिल हुआ।

उसने TRF (The Resistance Front) के नेटवर्क के जरिए लोकल सपोर्ट हासिल किया और अपने दो साथियों के साथ पहलगाम पहुंचा। यहां उन्होंने न सिर्फ लोकेशन की रेकी की, बल्कि लोकल गाइड्स और हॉर्स राइडिंग वालों से भी जानकारी जुटाई कि किस समय सबसे ज्यादा पर्यटक बायसरन घाटी जाते हैं और कितनी देर रुकते हैं।
हमले का दिन और ऑपरेशन का तरीका
हमले वाले दिन, बायसरन घाटी में करीब 60 से 70 टूरिस्ट मौजूद थे। दो आतंकी खच्चरों की मदद से ऊपर घाटी तक पहुंचे, जबकि एक ने नीचे ट्रैकिंग पॉइंट पर निगरानी रखी। घाटी के पास पहुंचते ही दोनों आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए, जबकि दर्जनों घायल हुए।
NIA और आर्मी की संयुक्त टीम ने मौके पर जाकर पाया कि आतंकियों ने पहले से एग्जिट पॉइंट चिन्हित किए थे। हमले के तुरंत बाद वे जंगल की ओर भाग निकले। 3 घंटे तक इलाके में ड्रोन से सर्च ऑपरेशन चला, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
NIA की तफ्तीश और नई रणनीति
NIA चीफ सदाकांत दाते ने 1 मई को खुद बायसरन घाटी का दौरा किया। टीम ने वहां 3D मैपिंग की जिससे यह पता लगाया जा सके कि आतंकियों ने घाटी में एंट्री और एग्जिट के लिए कौन-से रास्ते अपनाए। इसके अलावा कुछ इलाकों में अल्ट्रा सैटेलाइट फोन के संकेत भी मिले, जिससे यह पुष्टि हुई कि हमलावर लगातार बाहरी नेटवर्क से संपर्क में थे।

बायसरन घाटी की जांच के दौरान CRPF और SOG की टीमों ने कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इनमें कुछ लोकल हॉर्स राइडर्स और टूर गाइड्स भी शामिल हैं, जिन पर शक है कि उन्होंने आतंकियों को जानकारी मुहैया कराई।
सुरक्षा इंतजामों में बड़े बदलाव
हमले के बाद घाटी के 87 में से 48 टूरिस्ट डेस्टिनेशन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। बायसरन घाटी समेत अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में अब CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं। साथ ही, स्थानीय प्रशासन टूरिस्ट मूवमेंट की निगरानी के लिए GPS आधारित ट्रैकिंग सिस्टम पर भी विचार कर रहा है।
पहले भी हुए हैं ऐसे हमले
TRF के आतंकी पहले भी गैर-कश्मीरियों को निशाना बना चुके हैं। अक्टूबर 2024 में बिहार के मजदूर अशोक चौहान की हत्या और फिर दिसंबर में जेड-मोड़ टनल पर हमला इसी तरह की साजिश का हिस्सा थे। हाशिम मूसा और उसका नेटवर्क लगातार ऐसे हमलों को अंजाम देता रहा है, जिसका उद्देश्य घाटी में डर का माहौल बनाना और पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाना है।
निष्कर्ष
पहलगाम बायसरन घाटी आतंकी हमला एक सुनियोजित, रणनीतिक और बेहद खतरनाक साजिश थी। यह हमला सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि कई सुरक्षा खामियों, लोकल सपोर्ट और उच्च स्तरीय आतंकी प्रशिक्षण का नतीजा था। NIA और सुरक्षाबलों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है—हाशिम मूसा जैसे आतंकियों को पकड़ना और घाटी को फिर से सुरक्षित बनाना।