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PM इमरान खान ने कहा- आतंकवाद के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की इजाजत देना पाकिस्तान के हित में नहीं

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को यह माना कि अन्य देशों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपने देश की सीमा के इस्तेमाल की इजाजत देना पाकिस्तान के हित में नहीं है और कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच शांति लाने के लिए वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं.

खान की यह टिप्पणी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के एक दिन पहले दिए गए बयान पर आई है जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि जब तक सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां बंद नहीं होतीं तब तक पाकिस्तान के साथ वार्ता की संभावना नहीं है. भारत के साथ संबंधों को सुधारने के अपने आह्वान का संदर्भ देते हुए खान ने यह भी कहा कि हालांकि शांति के प्रयास एकतरफा नहीं हो सकते है और भारत में आम चुनाव हो जाने तक पाकिस्तान उसके जवाब का इंतजार करेगा.

खान ने यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बातचीत के दौरान कहा,‘‘देश के बाहर आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत देना हमारे हित में नहीं है. ’’ वह गुरुवार को अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने का जश्न मना रहे थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोग भारत के साथ अमन चाहते हैं तथा उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात और बात करने में खुशी होगी.

खान ने कहा,‘‘यहां के लोगों की मानसिकता बदल चुकी है. ’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या कश्मीर मुद्दे का समाधान संभव है तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा,‘‘कुछ भी असंभव नहीं है. ’’ उन्होंने कहा,‘‘ मैं किसी भी मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हूं.  कश्मीर का हल सैन्य समाधान नहीं हो सकता. ’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी सरकार भारत के ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के खिलाफ कार्रवाई करेगी, खान ने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा, “हम अतीत में नहीं जी सकते. 

सईद लश्कर-ए-तैयबा का सह संस्थापक है जो मुम्बई में 26 नवम्बर 2008 को हुए हमले के लिए जिम्मेदार है. इन हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी. मुम्बई हमलों के बाद सईद को नजरबंद किया गया था लेकिन 2009 में अदालत ने उसे रिहा कर दिया था. भारत, पाकिस्तान से 2008 के मुम्बई हमलों के षडयंत्रकर्ताओं को दंडित किये जाने की मांग करता रहा है. बुधवार को करतारपुर गलियारे के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कश्मीर का जिक्र किए जाने पर भारत की आपत्ति पर खान ने कहा कि वह बस इतना कहने की कोशिश कर रहे थे कि दोनों पक्ष बैठकर बात करें तो इस मुद्दे का समाधान असंभव नहीं है.  

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