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UP Police पति-पत्नी पोस्टिंग नीति से जुड़ा नया आदेश, पारिवारिक स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम

UP Police का बड़ा फैसला: अब पति-पत्नी को एक ही जिले में मिलेगी पोस्टिंग

उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने एक ऐतिहासिक और जनकल्याणकारी कदम उठाते हुए विभाग में कार्यरत पति-पत्नी को एक ही जिले में तैनाती देने की अनुमति दी है। इस फैसले से न केवल हजारों पुलिसकर्मियों को पारिवारिक स्थिरता का लाभ मिलेगा, बल्कि विभागीय समन्वय और कार्यकुशलता भी बढ़ेगी। UP Police पति-पत्नी पोस्टिंग नीति को लेकर डीजीपी प्रशांत कुमार द्वारा 2025 में जारी किए गए इस आदेश को मानवता और संवेदनशीलता की दिशा में बड़ी पहल माना जा रहा है।

इस नीति के तहत यदि पति-पत्नी दोनों उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं, तो उन्हें प्राथमिकता के आधार पर एक ही जनपद में पोस्टिंग दी जाएगी। यह फैसला खासतौर पर उन मामलों में राहत देगा, जहां नियुक्ति अनुकंपा के आधार पर की गई हो। पुलिस विभाग के अधिकारियों की जीवनशैली अक्सर व्यस्त और तनावपूर्ण होती है, ऐसे में यह फैसला उनके व्यक्तिगत जीवन में सामंजस्य और मानसिक सुकून लाने का काम करेगा।

डीजीपी कार्यालय से जारी इस आदेश में साफ किया गया है कि पति-पत्नी दोनों यदि पुलिस सेवा में हों, तो प्रशासन उन्हें यथासंभव एक ही जिले में पोस्टिंग देने का प्रयास करेगा। यह नीति न केवल पारिवारिक एकता को बढ़ावा देगी, बल्कि महिला पुलिसकर्मियों के लिए यह एक बड़ी राहत बनकर सामने आई है।

बदलती सामाजिक संरचना और नौकरी की जटिलताओं को देखते हुए इस नीति को ‘सामाजिक समरसता और कार्यस्थल सहूलियत’ की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। यह फैसला विशेष रूप से महिला पुलिसकर्मियों के लिए लाभकारी है, जिन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ पेशेवर जीवन में भी संतुलन बनाना होता है।

क्यों ज़रूरी था यह फैसला?

पुलिस बल का कार्य कठिन और तनावपूर्ण होता है। कभी शिफ्ट ड्यूटी, कभी इमरजेंसी, और कभी अचानक लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी। ऐसे में जब पति-पत्नी अलग-अलग जिलों में तैनात होते हैं, तो यह उनके पारिवारिक जीवन को प्रभावित करता है। बच्चों की परवरिश, माता-पिता की सेवा, पारिवारिक निर्णय जैसे कई जरूरी पहलुओं में बाधाएं आती हैं।

इस आदेश के लागू होने के बाद:

  • पति-पत्नी अब एक साथ रह सकेंगे।
  • बच्चों की देखभाल और शिक्षा में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • महिला कर्मियों को करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाने में सहायता मिलेगी।
  • मानसिक तनाव में कमी आएगी, जिससे बेहतर ड्यूटी परफॉर्मेंस की उम्मीद की जा सकती है।

अनुकंपा नियुक्ति पर असर

अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति उन मामलों में दी जाती है, जब पुलिसकर्मी की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है और परिवार को जीविकोपार्जन हेतु विभाग में नियुक्त किया जाता है।

अब तक ऐसी नियुक्तियों में पति-पत्नी को अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग मिलती थी। इससे परिवार को और अधिक मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक तनाव झेलना पड़ता था। लेकिन अब इस नई नीति के तहत:

  • अनुकंपा से नियुक्त व्यक्ति को उसी जिले में तैनाती मिलेगी, जहां उनका जीवनसाथी पहले से तैनात है।
  • इससे परिवार को न केवल भावनात्मक संबल मिलेगा, बल्कि रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटना भी आसान होगा।
  • संवेदनशील मामलों में यह फैसला राहत देने वाला होगा और प्रशासनिक दक्षता भी बढ़ेगी।

यह नीतिगत परिवर्तन उत्तर प्रदेश पुलिस की मानवतावादी नीति और वेलफेयर ओरिएंटेड विजन को दर्शाता है।

पुलिसकर्मियों की प्रतिक्रिया

  • सुब-इंस्पेक्टर संजीव कुमार, अलीगढ़: “इस फैसले से अब मेरी पत्नी और मैं एक ही जिले में पोस्टेड हैं। हम अपने बच्चों और परिवार को समय दे पा रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है।”
  • हेड कांस्टेबल रीना यादव, प्रयागराज: “पहले बच्चों को एकल अभिभावक के रूप में ही देखना पड़ता था, लेकिन अब दोनों की उपस्थिति से उनका विकास बेहतर हो पा रहा है।”

ऐसे कई पुलिस दंपतियों ने आदेश के लागू होते ही राहत की सांस ली है। कई जिलों में इस आधार पर स्थानांतरण भी किए जा चुके हैं।

भविष्य की योजना और संभावनाएं

उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग अब एक केंद्रीय ऑनलाइन पोर्टल विकसित करने की योजना बना रहा है, जिसमें पति-पत्नी की जानकारी दर्ज की जाएगी। यह प्रणाली ट्रांसफर और पोस्टिंग की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगी।

भविष्य में यह नीति अन्य सरकारी सेवाओं जैसे – शिक्षा, चिकित्सा, प्रशासनिक सेवाओं में भी लागू की जा सकती है। इससे सरकारी सेवा में कार्यरत दंपतियों को पारिवारिक स्थिरता मिलेगी, जिससे उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ेगी।

मूल उद्देश्य और निष्कर्ष
इस आदेश का मुख्य उद्देश्य है:

  • पुलिस बल में संवेदनशीलता को बढ़ाना
  • पारिवारिक स्थिरता को प्राथमिकता देना
  • प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना

यह आदेश न केवल एक प्रशासनिक सुधार है, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की दिशा में उठाया गया ठोस कदम भी है। मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह नीति मिसाल पेश करती है।

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