प्रयागराज: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। आज आंदोलन के चौथे दिन भी छात्र अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे। छात्रों ने आयोग की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं और भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ कड़ी नारेबाजी की और कैंडल मार्च निकाला।
आंदोलनकारी छात्रों का आरोप है कि यूपीपीएससी की परीक्षा प्रणाली में भारी असमानताएँ और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लागू करने का निर्णय छात्रों के हित में नहीं है। प्रतियोगी छात्र यह चाहते हैं कि PCS, RO, ARO जैसी भर्ती परीक्षाएँ एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में कराई जाएं, ताकि प्रतियोगिता समान हो सके। इसके अलावा, वे नॉर्मलाइजेशन के फैसले को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जिससे छात्रों के प्रदर्शन पर कोई असमान प्रभाव न पड़े।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी नाराजगी जताने के लिए थालियां और ड्रम पीटे, और मोबाइल की लाइट और मोमबत्तियों का उपयोग करते हुए विरोध दर्ज किया। छात्राएं भी प्रदर्शन में शामिल हुईं और जुलूस निकालकर अपनी आवाज उठाई। प्रदर्शनकारी छात्रों ने यूपी सरकार और आयोग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्प दिखाया।
पुलिस ने की बैरिकेडिंग, धरना स्थल पर बढ़ाई गई सुरक्षा
पुलिस प्रशासन ने आंदोलन को खत्म करने के लिए धरना स्थल के चारों ओर बैरिकेडिंग को मजबूत कर दिया है। पुलिस का कहना है कि छात्र शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रखते हुए प्रदर्शन करें, लेकिन यदि स्थिति बिगड़ती है तो दंडनात्मक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, छात्रों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगों पर उचित विचार नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन की मुख्य मांगें:
- PCS, RO, ARO परीक्षा को एक दिन, एक शिफ्ट में आयोजित किया जाए।
- नॉर्मलाइजेशन नीति को वापस लिया जाए, जिससे हर छात्र को समान अवसर मिले।
- यूपीपीएससी की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए।
आंदोलन का चौथा दिन भी लगातार जारी है, और छात्र अपनी मांगों को लेकर संगठित हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी आवाज़ सुनी नहीं जाती, वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
छात्रों का कहना है कि आयोग की भर्ती प्रक्रिया में भेदभाव और असमानताएँ साफ नजर आ रही हैं। छात्रों का यह भी मानना है कि नॉर्मलाइजेशन के कारण कुछ छात्रों के लिए यह परीक्षा असमान रूप से कठिन हो जाती है, जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ उनके व्यक्तिगत हित के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है, ताकि भविष्य में कोई छात्र इस तरह के भेदभाव का शिकार न हो।
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