बलिया: जनपद रसड़ा स्थित श्रीनाथ बाबा मठ के श्रीनाथ सरोवर पर शुक्रवार की शाम विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के तत्वावधान में देव दीपावली महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सरोवर के घाट पर 51000 दीप मालाओं को एक साथ जलाया गया, जिससे पूरा क्षेत्र रोशन हो उठा और दृश्य अत्यंत भव्य हो गया। दीपों से सजा श्रीनाथ सरोवर एक दिव्य रूप में नजर आया, जिसे देखने के लिए हजारों श्रद्धालु जुटे।
सूर्यास्त के बाद गंगा आरती
सूर्यास्त होते ही गंगा आरती का आयोजन किया गया। विद्वान पंडितों ने मंत्रोच्चारण के साथ आरती की। इस दौरान 51000 दीप मालाओं को एक साथ प्रज्जवलित किया गया, जिससे सरोवर के चारों ओर की रौनक बढ़ गई। दीपों की आभा ने वातावरण को दिव्य बना दिया और श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।
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स्वच्छता और सजावट में कार्यकर्ताओं की भूमिका
देव दीपावली महोत्सव को सफल बनाने के लिए कार्यकर्ता सुबह से ही जुट गए थे। उन्होंने श्रीनाथ बाबा सरोवर के चारों ओर साफ-सफाई की, सजावट की, और डीजे व कटआउट्स लगाए ताकि इस आयोजन की भव्यता को बढ़ाया जा सके।
कार्यकर्ताओं की सराहनीय भूमिका
इस आयोजन में श्रीनाथ मठ के महंत और संरक्षक कौशलेंद्र गिरि महाराज की विशेष भूमिका रही। इसके साथ ही दिलीप कुमार मद्धेशिया, सनत त्रिपाठी, संतोष गुप्ता, गोपाल सोनी, अजीत भारद्वाज, रवि सिंह, बंटी गुप्ता, संटू सिंह, शुभम, राजेश जायसवाल, लाला गुप्ता, लवकुश गुप्ता, मुन्ना सोनी और विजय सोनी समेत कई अन्य कार्यकर्ताओं का योगदान सराहनीय रहा। इन सभी की मेहनत और समर्पण से यह आयोजन सफल रहा।
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नगरवासियों का उत्साह
महोत्सव के दौरान नगरवासियों की भारी भीड़ उमड़ी थी। दीपों के बीच गंगा आरती का दृश्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर रहा था। यह आयोजन न केवल धार्मिक था, बल्कि एक सामाजिक एकता का प्रतीक भी बना, जहां लोग विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए और एक साथ इस दिव्य क्षण का आनंद लिया।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मनाई जाने वाली देव दीपावली, विशेष रूप से गंगा तटों पर अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में गहरी आस्था होती है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीनाथ सरोवर पर आयोजित इस महोत्सव ने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ा दिया।
भविष्य में और भी आयोजनों की योजना
इस आयोजन की सफलता के बाद, आयोजक संस्थाओं ने भविष्य में ऐसे और बड़े आयोजन आयोजित करने का संकल्प लिया है ताकि सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को संरक्षित रखा जा सके और श्रद्धालुओं को आस्थाओं के इस दिव्य रूप का अनुभव कराया जा सके।