नया साल 2025: न्यूजीलैंड से अमेरिका तक जश्न का समय 19 घंटे में फैलता है
“2025 का नया साल 31 दिसंबर की रात 12 बजे से दुनिया भर में 19 घंटे में मनाया जाएगा। न्यूजीलैंड से अमेरिका तक, हर देश का नया साल मनाने का तरीका है अलग। जानिए दुनिया भर में मनाए जाने वाले अजीबो-गरीब रिवाज और टाइम जोन का इतिहास।”
नया साल 2025 का स्वागत दुनिया भर में 19 घंटे तक होगा
दुनिया भर में हर साल 31 दिसंबर को रात 12 बजे नए साल का स्वागत किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह जश्न 19 घंटे तक चलता है? न्यूजीलैंड, जो पृथ्वी के सबसे पूर्वी हिस्से में स्थित है, पहला देश है जो 2025 का स्वागत करेगा, जबकि अमेरिका में यह 19 घंटे बाद मनाया जाएगा।
न्यूजीलैंड में जब नया साल शुरू होगा, तब भारत में शाम के 4:30 बजे होंगे। यानी भारत में न्यूजीलैंड से साढ़े 7 घंटे बाद नया साल आएगा, जबकि अमेरिका में यह 19 घंटे बाद मनाया जाएगा। इस समय अंतराल के कारण हर देश का अपना अलग टाइम जोन और नया साल मनाने का तरीका है।
दुनिया भर में नए साल मनाने की परंपराएं
नए साल के जश्न का तरीका देशों में अलग-अलग होता है। कुछ देशों में परंपराएं बहुत दिलचस्प और अजीब होती हैं:
- जापान में लोग 31 दिसंबर को बौद्ध मंदिरों में 108 बार घंटी बजाते हैं। इसे ‘जोया नो काने’ कहा जाता है, जो सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति का प्रतीक है।
- स्पेन में लोग रात के 12 बजने से ठीक पहले 12 अंगूर खाते हैं। यह परंपरा लगभग 100 साल पुरानी है और माना जाता है कि इसे खाने से आने वाला साल अच्छा होता है।
- कोलंबिया में लोग खाली सूटकेस लेकर घूमते हैं, ताकि नया साल रोमांच और यात्रा से भरा हो।
- ग्रीस में लोग अपने दरवाजों पर प्याज लटकाते हैं, क्योंकि यह तरक्की और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- इक्वाडोर में लोग बड़ी कठपुतलियां बनाकर उनमें आग लगा देते हैं, ताकि वे अपने पुराने दुखों और नकारात्मकताओं को जला सकें।
टाइम जोन और नया साल
न्यूजीलैंड में नया साल सबसे पहले आता है, क्योंकि यह पृथ्वी के सबसे पूर्वी हिस्से में स्थित है। इसके बाद, दुनिया के अन्य देशों में विभिन्न समय पर नया साल मनाया जाता है। यह समय अंतराल 19 घंटे तक पहुंचता है, जिससे पूरी दुनिया में एक साथ नए साल का स्वागत करने का अनुभव होता है।
टाइम जोन का इतिहास
दुनिया में समय का बंटवारा 1876 में कनाडाई इंजीनियर सर सैनफोर्ड फ्लेमिंग द्वारा किया गया था। उन्होंने यह प्रस्ताव दिया था कि पृथ्वी को 24 टाइम जोन में बांटा जाए, ताकि विभिन्न देशों में समय का अंतर सही तरीके से तय किया जा सके। 1884 में ग्रीनविच, इंग्लैंड को प्राइम मेरिडियन के रूप में चुना गया और तब से दुनिया भर का समय ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
नया साल 1 जनवरी को क्यों आता है?
नया साल 1 जनवरी को मनाने की परंपरा का इतिहास रोम साम्राज्य से जुड़ा है। प्राचीन रोम में पहले नया साल 25 मार्च को मनाया जाता था, लेकिन राजा नूमा पोंपिलस ने जनवरी को नया साल बनाने का फैसला किया क्योंकि यह महीने का नाम ‘जनुस’, यानी नए साल के देवता के नाम पर रखा गया था। इसके बाद, 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने कैलेंडर में बदलाव किए और नया साल 1 जनवरी से मनाया जाने लगा।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल