काशीपुर, ऊधमसिंह नगर: कहते हैं कि श्मशान तक ले जाने के लिए चार मजबूत कांधों की जरूरत होती है। जीवन की सच्चाई भी यही है, मगर यहां तो एक मासूम का कंधा है और अपनों की चार-चार अर्थियां। माता-पिता और दो बड़ी बहनों की अर्थी उसे ही उठानी हैं। 11 साल के मासूम रुद्र को अभी तक जिम्मेदारियों को तनिक अहसास भी न था, लेकिन एक झटके में उसने दुनिया ही पलट गई।
जिस पिता का हाथ सिर पर रहना था उसी ने आर्थिक तंगी से हारकर पूरे परिवार को जहर खिला दिया। संयोग से रुद्र और उसकी छोटी बहन आर्या ने पिता द्वारा मुंह में रख दी गई ‘मौत’ को उगल दिया था। चार-चार अर्थियां एक साथ जल रही हैं तो रुद्र भी भावशून्य सा हो गया। फिर भी उसे खुद से अधिक छोटी बहन की चिंता सताने लगी है। ननिहाल पक्ष की बेरुखी को श्मशान घाट में ही वह भांप गया है। ग्रामीणों की सांत्वना पर वह आंखों में आंसू लिए इतना ही कह सका, अब अपने बूते ही करूंगा बहन की भी देखरेख।
मूल रूप से काकादेव नार्थ ब्लॉक, तुलसीनगर कानपुर शहर निवासी अंशुमान सिंह ने आर्थिक तंगी के चलते शनिवार को खुद व पूरे परिवार को जहर खिला दिया था। पत्नी सरिता (30), बेटी दिव्यांशी (15) व हिमांशी (13) को जबरन जहर खिला दिया था। 11 वर्षीय बेटा रुद्रप्रताप जहर खाने से मना कर घर से भाग गया और सात वर्षीय बेटी आर्या ने मुंह में डालने के बाद जहर थूक दिया था। इसके बाद अंशुमान ने खुद भी जहर खा लिया था। अंशुमान व दिव्यांशी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सरिता व हिमांशी की काशीपुर के निजी अस्पताल में शनिवार देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
सोमवार को सरिता के भाई रवि व उसके रिश्तेदार विरेंद्र सिंह, अर्जुन, अवधेश सिंह सहित छह लोग यहां पहुंचे। ग्राम हरियावाला के प्रधान राजकुमार सहित ग्रामीणों, रवि व उनके रिश्तेदार की मौजूदगी में स्वर्ग वाहन से चारों का शव गंगेबाबा रोड स्थित श्मशान घाट ले जाया गया। वहां चारों की चिता तैयार की गई। आंखों से आंसू टपकते रुद्रप्रताप ने एक-एक कर पिता, मां, व दोनों बहनों की चिता को मुखाग्नि दी। एक ही परिवार की चार चिता को एक-एक कर मासूम को मुखाग्नि देते हर किसी का दिल दहल उठा। हर किसी की जुबां से यही निकला कि भगवान ऐसा किसी के साथ न हो।
लोगों की मदद से जुटा दाह संस्कार का खर्च
ग्राम हरियावाला के ग्राम प्रधान राजकुमार ने लोगों से चंदा एकत्र अंत्येष्टि के लिए पैसा जुटाया। गांव के साथ अन्य लोगों ने भी आर्थिक मदद के लिए प्रधान को फोन किया था। प्रधान ने चंदे में एकत्र 30 हजार रुपये दाह संस्कार में खर्च कर दिए। पांच हजार रुपये खर्च के लिए रुद्रप्रताप को दे दिए।
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