क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के स्थान पर उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की अगुआई में राज्यभर में निजी चिकित्सक, नर्सिग होम व क्लीनिक संचालकों का विरोध जारी है। निजी चिकित्सकों ने रविवार को ओपीडी बंद रखी। सोमवार को निजी चिकित्सक नए मरीजों की भर्ती रोकने के साथ ही पहले से भर्ती मरीजों को भी छुट्टी दे देंगे। 25 दिसंबर को अस्पतालों में तालाबंदी कर स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी जाएंगी।
आइएमए के अध्यक्ष डॉ. बीएस जज ने कहा कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का मसौदा तैयार किया गया था। स्वास्थ्य सचिव रितेश कुमार झा को मसौदा सौंपा गया था। आइएमए की ओर से तैयार मसौदे को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपने के लिए पिछले 15 दिन से समय मागा जा रहा है, लेकिन सचिवालय की ओर से समय नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में अब डॉक्टरों के सामने आदोलन के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं है।
उन्होंने बताया कि शनिवार को निजी चिकित्सकों ने विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर काम किया था। सरकार ने इस पर भी संज्ञान नहीं लिया। आइएमए के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने कहा कि सरकार डॉक्टरों और नर्सिग होम संचालकों की मागों को मानने के बजाय अड़ियल रवैया अपना रही है। ऐसे में निजी डॉक्टर भी पीछे नहीं हटेंगे। कहा कि बड़े अस्पतालों के लिए क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन करना आसान है, लेकिन छोटे-छोटे सभी अस्पतालों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा और वह एक-एक कर बंद हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि सभी प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों ने अब आर-पार की लड़ाई का निर्णय लिया है।