दुनिया को नायाब तकनीक व शिक्षाविद् देने वाला आइआइटी अब चिकित्सा उपकरण बनाएगा। गर्भाशय कैंसर व डेंगू की आसान जांच के लिए संस्थान में उपकरण तैयार किए जा रहे हैं। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) व किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के साथ मिलकर प्रोफेसर व रिसर्च स्कॉलर इन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। प्रयोगात्मक अध्ययन में इनके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसके बाद अब इसे मरीजों की सुविधा व उनकी जरूरत के अनुसार तैयार किया जा रहा है।
डेंगू और गर्भाशय कैंसर की जांच के लिए बनाई किट
प्रो. शांतनु भट्टाचार्या ने डेंगू की जांच के लिए रैपिड किट विकसित की है। प्रोफेसर असीमा प्रधान ने बिना दर्द गर्भाशय कैंसर की जांच के लिए डिवाइस बनाई है। केजीएमयू के प्रोफेसर ऋषि सेठी, डॉ.दीक्षा पांडेय व आइआइटी प्रो. रामकुमार ने भी गर्भाशय रोगों की जांच के लिए किट बनाई है। इस रिसर्च को उत्पाद बनाने के लिए बाईरैक ने आइआइटी को प्रत्येक शोध के लिए करीब 50 लाख रुपये की फंडिंग की है।
इंजीनियरिंग व मेडिकल मिलकर करेंगे काम
इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन के प्रोफेसर इंचार्ज प्रो.अमिताभ बंद्योपाध्याय ने बताया कि इंजीनियरिंग व मेडिकल मिलकर काम करें, इसके लिए रूपरेखा तैयार की गई है। इसके अंतर्गत दस छात्रों को समर इंटर्नशिप के लिए केजीएमयू भेजा गया था जहां उन्होंने चिकित्सा उपकरणों की जरूरत का विश्लेषण किया। इन छात्रों ने गर्भाशय कैंसर की आसान जांच के लिए उपकरण तैयार करने की तकनीक विकसित की है। चिकित्सा उपकरण बनाने को बाईरैक से उन्हें 44 लाख रुपये का अनुदान मिला है।
पोलोराइज्ड फ्लोरोसेंस लेजर लाइट से कैंसर की जांच संभव
आइआइटी प्रोफेसर डॉ. असीमा प्रधान ने कैंसर की जांच के लिए एक डिवाइस तैयार की है। इसके अंतर्गत पोलोराइज्ड फ्लोरोसेंस लेजर लाइट के जरिए कैंसर की प्रारंभिक जांच की जा सकती है। जांच के दौरान मरीज को लेजर लाइट से गुजारा जाता है और फ्लोरोसेंस कैंसर डिटेक्ट कर लेता है। अभी तक पैप स्मीयर व बायोप्सी टेस्ट के जरिये गर्भाशय कैंसर का पता लगाया जाता है। बायोप्सी टेस्ट दर्द भरा होता है। कई वर्षों की रिसर्च के बाद प्रोफेसर प्रधान ने गर्भाशय कैंसर की प्रारंभिक जांच के लिए लेजर लाइट का तरीका ईजाद किया है। इसके जरिए शरीर के अंदर हुए बदलाव से कैंसर का पता लगाया जाता है।