“उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश हुए और हलफनामा देकर आदेशों के अनुपालन की जानकारी दी। न्यायालय ने समन आदेशों की अनदेखी पर नाराजगी जताई और गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।”
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार पेश हुए। अदालत ने एक आपराधिक मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी। इस संदर्भ में डीजीपी ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन कर लिया गया है और गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं।
यह मामला महेश की जमानत याचिका से संबंधित है, जिसमें अदालत ने पाया था कि ट्रायल कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों की सूची प्रस्तुत नहीं की गई थी। इस वजह से जमानत आवेदनों के त्वरित निस्तारण में देरी हो रही थी।
पुलिस की खामियां और सुधार:
न्यायालय ने पाया कि केस डायरियां लंबी होने के कारण सरकारी वकीलों को उनका अध्ययन करने में काफी समय लगता है, जिससे जमानत याचिकाओं की सुनवाई में देरी हो रही है। साथ ही, समन आदेशों का पालन करते हुए गवाहों को प्रस्तुत करने में पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई।
न्यायालय ने आदेश दिया था कि संबंधित जिलों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाए और पुलिस विभाग के विभिन्न विभाग आपस में समन्वय स्थापित करें। डीजीपी ने हलफनामे में बताया कि सभी निर्देशों का पालन किया गया है।
अदालत का सख्त रुख:
न्यायमूर्ति अजय भनोट ने पुलिस की खामियों पर खेद जताते हुए कहा कि समन आदेशों का पालन न करने और गवाहों की अनुपस्थिति के कारण न्याय प्रक्रिया बाधित हो रही है। न्यायालय ने राज्य सरकार और पुलिस विभाग को आदेश दिया कि वे सभी विभागों के साथ बैठक कर समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करें।
अदालत ने अगली सुनवाई के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें बैठक के निष्कर्ष और अनुपालन की स्थिति शामिल होगी।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल