महाकुम्भ के संगम तट पर कल्पवास में 41 साल से तपस्या कर रहे दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी का संकल्प और त्याग दुनिया को हैरान कर रहा है। बिना अन्न और जल के सिर्फ चाय पर जीवन यापन करते हुए, वह प्रतियोगी छात्रों को शिक्षा का अनोखा दान दे रहे हैं।
महाकुंभ के संगम तट पर जहां लाखों लोग आस्था, भक्ति और तपस्या में लीन हैं, वहीं कल्पवास करने वाले दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी का संकल्प और त्याग एक अद्भुत मिसाल पेश कर रहा है। महोबा के रहने वाले दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी पिछले 41 सालों से लगातार कल्पवास कर रहे हैं। उनका जीवन एक तपस्या की तरह है, जहां उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर केवल चाय के सहारे साधना की है।
दिनेश स्वरूप का संकल्प इतना दृढ़ है कि उन्होंने अपनी जीवनशैली को पूरी तरह से संयमित कर लिया है। वह हर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करते हैं और फिर पूजा-अर्चना के बाद दंडी स्वामी साधुओं के लिए भोजन तैयार करते हैं, लेकिन स्वयं भोजन नहीं करते। उनके जीवन का यह संकल्प उन्हें “पयहारी” के नाम से प्रसिद्ध कर चुका है। उनका यह अनोखा तपस्वी जीवन न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि उनके द्वारा किए गए शिक्षा के दान के लिए भी चर्चा में है।
दिनेश स्वरूप का शिक्षा के प्रति प्रेम और समर्पण भी अनोखा है। वह अपने शिविर में पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को मुफ्त में नोट्स उपलब्ध कराते हैं। इस दौरान, वह हर छात्र को प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी के लिए जरूरी किताबों का सारांश अपने नोट्स के रूप में प्रदान करते हैं। कई छात्र उनके नोट्स के सहारे पीसीएस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त कर चुके हैं।
दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह सिद्ध करता है कि अगर संकल्प मजबूत हो तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सफलता और संतोष प्राप्त किया जा सकता है।
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