भारतीय सेना की ताकत एक बार फिर देशवासियों को भरोसा दिला रही है कि आतंक का मुंहतोड़ जवाब तैयार है। हाल ही में सामने आई एक तस्वीर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देश की शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ बैठक करते दिखे, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीतियाँ और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर पलटवार की तैयारियों पर चर्चा हुई। ये तस्वीर सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल को तसल्ली देने वाली आशा है।
“ये तस्वीर मन को तसल्ली देती है … बस इसी मुस्कान के साथ पाकिस्तान का नक़्शा बदल कर नया इतिहास लिखना है…” — यह वाक्य उन भावनाओं को दर्शाता है जो आज हर देशवासी के दिल में है।
वर्तमान में पाकिस्तान की ओर से बार-बार की जा रही आतंकवादी घटनाओं से भारत विचलित नहीं हुआ है, बल्कि और अधिक संगठित और मजबूत होकर खड़ा है। भारतीय सेना की ताकत ही वह आत्मविश्वास है, जो दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए प्रेरित करता है।
भारत पहले भी आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठा चुका है।
- 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय सेना ने POK में घुसकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया।
- 2019 में पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाया गया।
- बरामुला और मणिपुर में काउंटर ऑपरेशन: आधुनिक हथियारों, निगरानी ड्रोन, और इंटेलिजेंस के दम पर भारतीय सेना आतंकियों के नेटवर्क को तहस-नहस कर रही है।
इन अभियानों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब चुप नहीं बैठता, जवाब देता है — वो भी करारा।
पाकिस्तान ने जब-जब भारत की संप्रभुता को चुनौती दी, उसे हर बार करारा जवाब मिला:
- 1965 का भारत-पाक युद्ध: पाकिस्तान की घुसपैठ का भारतीय सेना ने साहसपूर्वक सामना किया। भारत ने लाहौर और सियालकोट सेक्टर में जबरदस्त दबाव बनाकर पाकिस्तान की सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया।
- 1971 का युद्ध: पाकिस्तान की सेना को करारी शिकस्त देकर भारत ने सिर्फ 13 दिन में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर करवाया और एक नए राष्ट्र — बांग्लादेश — का जन्म कराया। यह विश्व इतिहास का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था।
- 1999 का करगिल युद्ध: पाकिस्तान ने LOC पार कर भारतीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” के तहत दुश्मनों को खदेड़कर अपनी भूमि मुक्त करवाई। टाइगर हिल से लेकर तोलोलिंग तक विजय की गूंज थी।
पाकिस्तान की सेना और उसके आतंकी संगठन इन कार्रवाइयों से बुरी तरह घबरा चुके हैं। इतिहास गवाह है कि 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था, और बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
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आज जब पाकिस्तान एक बार फिर अपने आतंक के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है, तब भारत की सशस्त्र सेनाएं पूर्ण तैयारी की मुद्रा में हैं। थल सेना, वायु सेना और नौसेना — तीनों ही अंग एकसाथ समन्वय कर रहे हैं। सैटेलाइट इंटेलिजेंस, ड्रोन सर्विलांस, सीमा पर रडार निगरानी — सब कुछ हाई अलर्ट पर है।
यह तस्वीर यही कहती है — भारतीय सेना की ताकत अब भी वही है, जिसने दुश्मन को हर मोर्चे पर पराजित किया है। आज की मुस्कान कल की विजय का संकेत है।
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