Sunday , December 29 2024

उत्तराखण्ड

यात्री किराया बढ़ाने में ठिठक रहे राज्य परिवहन प्राधिकरण के कदम, जानिए वजह

राज्य के भीतर वाहनों में यात्री किराया व माल भाड़ा बढ़ाने के निर्णय को लागू करने में राज्य परिवहन प्राधिकरण के कदम ठिठक रहे हैं। तकरीबन एक पखवाड़े पहले किराया बढ़ाने के निर्णय को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। इससे वाहन संचालकों में भी रोष बढ़ रहा है। राज्य परिवहन प्राधिकरण की तीन जुलाई को हुई बैठक में व्यावसायिक वाहनों में यात्री किराया व माल भाड़ा लगाने पर मुहर लगी थी। इस दौरान यह निर्णय लिया गया था कि वाहनों का किराया कुछ वाहनों में किलोमीटर व कुछ में एकमुश्त बढ़ाया जाएगा। यह भी कहा गया कि चूंकि, हर प्रकार के वाहन का किराया किलोमीटर के हिसाब से अलग-अलग है इसलिए वाहनों के प्रकार के हिसाब से इनकी दरों का निर्धारण कर इन्हें सार्वजनिक किया जाएगा। इस निर्णय के बाद से ही वाहन संचालक एसटीए के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, प्रदेश में लंबे समय से बस, विक्रम, टैंपो, टैक्सी व ट्रक संचालक किराया बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। एसटीए द्वारा वर्ष 2012 के बाद से इनका किराया नहीं बढ़ाया गया है। इसे देखते हुए शासन के निर्देश पर परिवहन मुख्यालय ने किराया निर्धारण समिति का गठन किया था। इस समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में किराया बढ़ाने को संस्तुति की थी। समिति की रिपोर्ट के बाद दो बार एसटीए की बैठकें हुई लेकिन इन पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में कर रहे हैं सफर तो हो जाइए सावधान यह भी पढ़ें इसी माह यानी तीन जुलाई को हुई बैठक में किराया बढ़ोतरी पर मुहर लगी थी लेकिन इसके आदेश अभी तक जारी नहीं हो पाए हैं। हालांकि, जानकारों की मानें तो पुलिस मुख्यालय में किराया सूची तैयार हो रखी है लेकिन बैठक के कार्यवृत्त में अभी तक अधिकारियों व नामित सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं। इसके चलते यह सूची नहीं जारी हो पा रही है। अपर परिवहन आयुक्त व सचिव एसटीए सुनीता सिंह का कहना है कि किराया बढ़ोतरी के संबंध में जल्द सूची जारी कर दी जाएगी।

राज्य के भीतर वाहनों में यात्री किराया व माल भाड़ा बढ़ाने के निर्णय को लागू करने में राज्य परिवहन प्राधिकरण के कदम ठिठक रहे हैं। तकरीबन एक पखवाड़े पहले किराया बढ़ाने के निर्णय को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। इससे वाहन संचालकों में भी रोष बढ़ रहा …

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बोलेरो के खार्इ में गिरने से चार की मौत, कर्इ घायल

बोलेरो के खार्इ में गिरने से चार की मौत, कर्इ घायल

खटीमा से चंपावत आ रही एक बोलरो अनियंत्रित होकर अचानक खार्इ में गिर गर्इ। हादसे में चार लोगों की मौत की खबर हैं। जबकि, छह लोगों के घायल होने की सूचना है। घायलों का रेस्क्यू किया जा रहा है।  ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा से चंपावत आ रही बोलेरो धौंन …

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उत्तराखंड में डरा रहा मौसम, बारिश के दौरान पेड़ गिरने से युवक की मौत

उत्तराखंड में बरसात का मौसम अब लोगों को डराने लगा है। लगातार बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। वहीं, सड़कों के बंद होने का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी दी है। वहीं, बारिश के दौरान पेड़ गिरने के दौरान इसकी चपेट में आने से विकासनगर क्षेत्र में एक युवक की मौत हो गई। विकासनगर क्षेत्र के बरोटीवाला के पृथ्वीपुर खेड़ा में बारिश के दौरान पेड़ गिरने से इसकी चपेट में आकर बाइक सवार की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि सिंचाई विभाग सेलाकुईं में कार्यरत तसीम (26 वर्ष) पुत्र यामीन अपने घर जीवनगढ़ से बाइक पर सवार होकर ड्यूटी को जा रहा था। तभी यह हादसा हो गया। उत्तराखंड में गत दिवस सुबह के समय बारिश ने जमकर कहर बरपाया था। दून में सात लोगों की मौत हो गई थी। इनमें चार मकान की दीवार के मलबे में दब गए थे। वहीं तीन लोग अलग-अलग स्थान पर बरसाती नदियों के बहाव की चपेट में आ गए थे। वहीं पिथौरागढ़ और बागेश्वर के कपकोट में भी नुकसान हुआ था। उत्तराखंड में 22 जून को पहुंचेगा मानसून, इससे पहले बारिश का दौर जारी यह भी पढ़ें आधी रात के बाद से उत्तराखंड में फिर से रिमझिम बारिश का दौर शुरू हो गया। देहरादून, ऋषिकेश, कोटद्वार, मसूरी, टिहरी पौड़ी सहित कई स्थानों पर रुक-रुक कर बारिश हो रही है। लगातार बारिश से उत्तरकाशी में भागीरथी का जलस्तर खतरे से निशान से दो मीटर नीचे बह रहा है। वहीं, ऋषिकेश क्षेत्र में सौंग, सुसवा नदी का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों में रायवाला, साहबनगर, चकजोगीवाला, ठाकुरपुर, गौहरी माफी, हरिपुर कला सहित कई गांवों के लोग डरे हुए हैं। यहां हर साल बाढ़ से नुकसान पहुंचता है। उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज, कुमाऊं में बारिश से बुझी जंगलों में आग यह भी पढ़ें उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे सुचारु है, लेकिन यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट के निकट मलबा आने से फिर से बंद हो गया। ऐसे में करीब 50 यात्री स्यानाचट्टी में रुके हैं। वहीं, केदारनाथ, बदरीनाथ व हेमकुंड यात्रा सुचारु है। टिहरी जनपद में ऋषिकेश गंगोत्री राजमार्ग भी फकोट ताछला में तड़के करीब चार बजे बंद हो गया था। इसे खोल दिया गया। कद्दूखाल के पास भी सड़क पर मलबा आने से बार-बार यातायात बाधित हो रहा है।

उत्तराखंड में बरसात का मौसम अब लोगों को डराने लगा है। लगातार बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। वहीं, सड़कों के बंद होने का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी दी है। वहीं, बारिश के दौरान पेड़ गिरने के …

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यहां बल्लियों पर टिकी है दस गांवों की जिंदगी, हो सकता है बड़ा हादसा

उत्तरकाशी में दस से अधिक गांवों की जीवन रेखा अस्थाई पुलिया के भरोसे चल रही है। आपदा के दौरान इन गांव के निकट के बरसाती नालों में बनी पुलिया बह गई थी, जो अभी तक स्थाई रूप से नहीं बनाई गई हैं। ग्रामीणों और छात्रों को जान जोखिम में डालकर बरसात के समय ये नदी-नाले पार करने पड़ रहे हैं। इन नालों पर कई बार हादसे भी हो चुके हैं, बावजूद इसके सोया हुआ तंत्र जागने को तैयार नहीं है। बता दें कि भटवाड़ी ब्लॉक के स्याबा और सालू गांव के 30 से अधिक नौनिहाल अपनी जान जोखिम में डाल कर एक बरसाती गदेरे पर लगी लकड़ी की कच्ची पुलिया को पार कर सौंरा इंटर कॉलेज आते-जाते हैं। नौगांव ब्लॉक के मदेश और पिंडकी के बीच हनुमान गंगा पर स्थाई पुलिया आपदा के दौरान बह गई थी। ग्रामीणों ने आवागमन के लिए अस्थाई पुलिया बनाई। मोरी ब्लॉक के सटूड़ी गांव के ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले ही सुपीन नदी पर अस्थाई पुलिया बनाई। इस पुलिया से ग्रामीण व छात्र जखोल पहुंचते हैं। घोषणा के बाद भी पिछले पांच सालों से स्थाई पुल का निर्माण नहीं हो सका। मोरी के सांकरी से ओसला गंगाड़ जाने के लिए ग्रामीणों हलारा गदेरा व पूर्ती गाड को पार करना पड़ता है। लेकिन इन दोनों जगह पर 2012 में यहां बनी अस्थाई पुलिया बह गई थी। हलारा गदेरे में 2014 में एक महिला गदेरे के उफान में बह गई थी। 2016 में यहां एक ब्रह्म ब्रिज भी बनाया गया था। वह भी टूट गया गया है। अब हलारा गदेरा व पूर्ति गाड़ में ग्रामीणों ने अस्थाई पुलिया बनाई है। भटवाड़ी ब्लॉक के गजोली व नौगांव के छात्रों को भी इंटर कॉलेज तक पहुंचने के लिए 2012 से कच्ची पुलिया का सहारा लेना पड़ता है। उत्तराखंड: भारी बारिश से उफान पर आए ये दो नाले, लोगों में दहशत यह भी पढ़ें इस तरह से अगोड़ा गांव के ग्रामीण अपनी छानियां व खेतों तक जाने के लिए असी गंगा को पार करते हैं। 2017 में एक ट्रॉली लगाई गई। लेकिन ट्रॉली के तार ढीले हो चुके हैं। इसी घाटी में विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल डोडीताल जाने के लिए बेवरा नदी पार करनी होती हैं। यहां ग्रामीणों ने अस्थाई पुलिया बनाई है। लेकिन बरसात में यह पुलिया बह जाती है। बीते वर्ष पुलिया बहने से डोडीताल में पांच पर्यटक फंसे थे। वन विभाग ने इन मार्ग की मरम्मत पर दो करोड़ से अधिक खर्च कर दिए हैं। बावजूद इसके अभी तक पुलिया नहीं बन पाई है। मोरी के बेंचा घाटी के लिवाडी, फिताडी, रैक्चा के ग्रामीणों को बरसात में सुपीन नदी तथा मोरी के नुराणु, सेवा, बरी के ग्रामीणों को रूपीन नदी पर बनाई अस्थाई पुलिया से आवागमन करना पड़ रहा है। इसी तरह की स्थिति पुरोला के सांखाल, मटियालोड, थली, नाडा गांव की है। बरसात के दिन इन ग्रामीणों पर भारी पड़ते हैं। ट्रॉली से गिरकर उफनती टौंस नदी में समार्इ बच्ची, लापता यह भी पढ़ें जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि गजोली में पुलिया बनाने के लिए जिपं को निर्देश दिए गए हैं। सटूड़ी गांव में स्थाई पुलिया स्वीकृत है। वन अधिनियम की स्वीकृति की कार्रवार्इ गतिमान है। ग्रामीणों के पास वैकल्पिक रास्ते भी हैं।

उत्तरकाशी में दस से अधिक गांवों की जीवन रेखा अस्थाई पुलिया के भरोसे चल रही है। आपदा के दौरान इन गांव के निकट के बरसाती नालों में बनी पुलिया बह गई थी, जो अभी तक स्थाई रूप से नहीं बनाई गई हैं। ग्रामीणों और छात्रों को जान जोखिम में डालकर …

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8 साल बाद सरकार को आई शहरों की याद, नए सिरे से बनेगा मास्टर प्लान

उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 17 साल से ज्यादा वक्फा गुजरने के बाद सरकार को शहरों की याद आई है। इनमें अव्यवस्थित रूप से हो चुकी बसागत समेत अन्य कारणों को देखते हुए अब राज्य के 92 नगर निकायों के लिए सरकार नए सिरे से मास्टर प्लान की कवायद शुरू करने जा रही है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने सोमवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि देहरादून के मास्टर प्लान को प्रक्रियात्मक रूप से हाईकोर्ट ने निरस्त किया है। यहां भी नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की नजूल नीति के मामले में भी सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है। शासकीय प्रवक्ता एवं काबीना मंत्री कौशिक ने कहा कि जब नगर निकायों के लिए मास्टर प्लान बने थे, तब से अब तक की स्थिति काफी बदल चुकी है। कई नए क्षेत्र निकायों में शामिल हुए हैं, जिससे उनका भूगोल बदला है। ऐसे में आवश्यक है कि सभी शहरों के व्यवस्थित एवं नियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान नए सिरे से तैयार किया जाए। इस सिलसिले में कसरत प्रारंभ कर दी गई है। मास्टर प्लान पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की जाएगी दाखिल, जानिए क्या है एसएलपी यह भी पढ़ें एक सवाल पर उन्होंने कहा कि देहरादून के मास्टर प्लान में प्रक्रियात्मक त्रुटि थी और इसी आधार पर हाईकोर्ट ने इसे निरस्त किया। हालांकि, इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई है, लेकिन अब दून में कई क्षेत्र शामिल होने से स्थिति बदली है। लिहाजा, यहां भी नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार होगा। कोशिश यह रहेगी कि दून समेत प्रदेश के अन्य शहरों के लिए तैयार होने वाले मास्टर प्लान में किसी प्रकार की प्रक्रियात्मक त्रुटि न रहने पाए। ड्रेनेज प्लान पर भी फोकस दून में अटके हैं 2400 नक्शे, एक्ट से चल रहा काम यह भी पढ़ें देहरादून का ड्रेनेज प्लान 2008 से फाइलों में कैद होने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि न सिर्फ दून बल्कि अन्य शहरों में भी ड्रेनेज प्लान पर फोकस किया जाएगा। हालांकि, बजट के लिहाज से यह खासा महंगा है। देहरादून के ड्रेनेज प्लान को मास्टर प्लान में शामिल किया जाएगा, जबकि अन्य बड़े शहरों में एडीबी के जरिये इसके लिए व्यवस्था की जाएगी। निकाय एक्ट को भी कसरत दून में नहीं रुकेगा अतिक्रमण हटाने का अभियान यह भी पढ़ें शहरी विकास मंत्री ने कहा कि निकायों के लिए अपना एक्ट तैयार करने की कड़ी में पूर्व में एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अन्य राज्यों के निकाय एक्ट को लेकर अध्ययन किया है। जल्द ही इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव के बाद ही एक्ट अस्तित्व में आ पाएगा।

उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 17 साल से ज्यादा वक्फा गुजरने के बाद सरकार को शहरों की याद आई है। इनमें अव्यवस्थित रूप से हो चुकी बसागत समेत अन्य कारणों को देखते हुए अब राज्य के 92 नगर निकायों के लिए सरकार नए सिरे से मास्टर प्लान की कवायद शुरू …

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देश विदेश में खासी मशहूर है अल्मोड़ा की येे मिठाइयां

अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खासी मशहूर है। लोग सौगात के रूप में यही तीन मिठाइयां लेकर यहां से जाते हैं। यहां बाल मिठाई बनाने का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है। इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीके को निखारने का श्रेय मिठाई विक्रेता स्व. नंद लाल साह को जाता है, जिसे आज भी खीम सिंह मोहन सिंह रौतेला और जोगालाल साह के प्रतिष्ठान संवार रहे हैं। बाल मिठाई को आसपास के क्षेत्र में उत्पादित होने वाले दूध से निर्मित खोए से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए खोए और चीनी को एक निश्चित तापमान पर पकाया जाता है। लगभग पांच घंटे तक इसे ठंडा करने के बाद इसमें रीनी और पोस्ते के दाने चिपकाए जाते हैं। जिसे बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसा ही बेजोड़ स्वाद सिंगौड़ी का भी है। सिंगौड़ी मालू के पत्ते में लपेटी जाती है और इसे कोन का आकार दिया जाता है। यहां के परंपरागत व्यजनों का लुत्फ भी सैलानी आसानी से उठा सकते हैं।

अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खासी मशहूर है। लोग सौगात के रूप में यही तीन मिठाइयां लेकर यहां से जाते हैं। यहां बाल मिठाई बनाने का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है।  इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीके को निखारने …

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सड़क हादसों की वजह है ट्रिपल ओ, जानिए क्या है ये

ट्रिपल ओ' यानी ओवरस्पीड, ओवरलोडिंग और ओवरटेक के दौरान नियमों की अनदेखी 60 फीसद सड़क हादसों का मूल कारण होती है। इसे लेकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, फिर भी हालात जस के तस हैं। पौड़ी के धुमाकोट में रविवार को हुए बस हादसे में 48 लोगों की जान चली गई। हादसे की असल वजह क्या रही, तंत्र इसकी पड़ताल में जुट तो गया है। लेकिन, एक बात तो साफ हो चुकी है कि 28 सीटर बस में क्षमता से दोगुने यानी 61 यात्री सवार थे। ऐसे में साफ है कि सड़क पर वाहन चलाते समय की गई छोटी सी लापरवाही मौत की नींद सुला देती है। राजधानी दून की बात करें तो यहां सड़क हादसों में प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ सौ से अधिक लोग जान गवा देते है, वहीं इससे दो गुना घायल होकर जिंदगीभर दुर्घटना का दंश झेलते हैं। पुलिस की मानें तो सड़क हादसों का सबसे अहम कारण अप्रशिक्षित चालक, लापरवाही, ओवरलो¨डग और यातायात नियमों का पालन नहीं होना है। यही नहीं सड़कों पर पार्किंग, अधूरे सड़क निर्माण, यातायात संकेतकों की कमी, ओवरलोड वाहन व तेज रफ्तार सहित ऐसे बहुत से कारण हैं, जिन पर कार्रवाई न होने के कारण स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। कम जुर्माने से नहीं रहा डर उत्तराखंड में 17 साल में हुए 843 सड़क हादसे, ढाई हजार लोगों की हुई मौत यह भी पढ़ें सड़क हादसों के पीछे यातायात नियमों की अनदेखी सबसे बड़ा कारण होता है। छोटी-छोटी गलतियां कई बार बड़े हादसों का कारण बन जाती है। कई गलतियों पर मामूली जुर्माना होने से भी लोग सचेत होने की जगह जुर्माना भरना शौक समझते हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से ओवरस्पीड, रेड लाइट जंप, रफ ड्राइविंग सहित छह मामलों में गाड़ी छोड़ने का अधिकार आरटीओ को दिया गया है, लेकिन स्थिति यथावत है। लालच-मजबूरी भी है कारण मदरसों में टॉप करने के बाद भी अधर में है भविष्य, जानिए वजह यह भी पढ़ें पर्वतीय मार्गो पर सवारी वाहनों की संख्या मैदानी इलाकों की अपेक्षा कम होने के कारण निजी वाहन चालक मानक से कहीं ज्यादा सवारिया ढोते हैं। ओवरलोडिंग के पीछे वाहन चालक को अधिक किराये का लालच होता है तो लोगों के सामने मजबूरी। यह है चालान राशि रोडवेज कर्मियों को मिला ईद का ये तोहफा, जानिए यह भी पढ़ें वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, 500 रुपये बिना हेलमेट, 100 रुपये योग के बहाने पीएम मोदी ने दी विरोधियों को नसीहत, जानिए यह भी पढ़ें ओवर स्पीड, 500 रुपये रेडलाइट जंप, 100 रुपये रफ ड्राइविंग, 100 रुपये गलत ओवरटेक,100 रुपये धूमपान, 100 रुपये बिना सीट बेल्ट,100 रुपये बीते तीन वर्षो में प्रदेशभर में हुए सड़क हादसे वर्ष, दुर्घटनाएं, मृतक, घायल 2015, 1523, 913, 1657 2016, 1591, 962, 1736 2017, 1603, 942, 1631 2018(अब तक), 618, 390, 659 राज्य में हादसों के प्रमुख कारण और मौत के आंकड़े कारण, दुर्घटनाएं, मृतक, घायल ओवरस्पीड, 342, 226, 341 गलत साइड से ड्राइविंग, 43, 14, 48 गलत तरीके से ओवरटेक, 50, 24, 47 सड़क पर रेत, बजरी, 12, 14, 08 सड़क पर गड्ढे, 06, 04, 04 शराब पीकर गाड़ी चलाना, 06, 03, 011 वाहन की खराबी, 05, 02, 04 सड़क पर गाड़ी की पार्किंग, 07, 04, 08 (नोट: आंकड़े एक जनवरी से 31 मई 2018 तक के हैं) एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि अगर वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन किया जाए तो हादसे का खतरा काफी हद तक टाला जा सकता है। जागरूकता अभियान के दौरान लोगों को इसके लिए प्रेरित भी किया जाता है। इसके साथ ही कार्रवाई भी की जाती है।

ट्रिपल ओ’ यानी ओवरस्पीड, ओवरलोडिंग और ओवरटेक के दौरान नियमों की अनदेखी 60 फीसद सड़क हादसों का मूल कारण होती है। इसे लेकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, फिर भी हालात जस के तस हैं। पौड़ी के धुमाकोट में रविवार को हुए बस हादसे में 48 लोगों की जान चली …

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इस गांव में है भोलेनाथ की विशाल गुफा, दुनिया के सामने लाएगी आइटीबीबी

आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) उच्च हिमालयी क्षेत्र में धारचूला के सीपू गांव स्थित विशालकाय गुफा को देश-दुनिया के सामने लाएगी। इसके लिए डीआइजी एपीएस निंबाडिया के निर्देश पर आइटीबी का एक दल गुफा तक पहुंच गया है। समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर सीपू गांव से करीब 12 किमी दूर स्थित इस गुफा के बारे अब तक सिर्फ स्थानीय लोगों को ही जानकारी है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इस गुफा में विश्राम किया था। शिव जिस पत्थर पर बैठे, उस पर आज भी बैठने के निशान हैं। ग्रामीण इस क्षेत्र में मौजूद एक मात्र भोजपत्र के वृक्ष को शिव की लाठी का रूप मानते हैं। गुफा तक पहुंचने के लिए खड़ी चट्टान को पार करना होता है। गांव में बड़ी पूजा होने पर ग्रामीण गुफा तक जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं। गुफा के नजदीक ही मिलती माई का तालाब है। गर्मियों में भी पानी से लबालब भरे रहने वाले इस तालाब को सबसे पहले एक तिब्बती व्यापारी ने देखा। कहते हैं कि घोड़े पर सवार यह तिब्बती व्यापारी इस गुफा की गहराई नापने के लिए तालाब में उतरा तो फिर वापस नहीं लौटा। व्यापारी की टोपी सीपू गांव में फूटने वाले इस तालाब के स्रोत से निकली। इस तालाब की भी वर्ष में एक बार विशेष पूजा होती है। चीन सीमा पर आइटीबीपी के 14 हथियार खाई में गिरे, नहीं लगा सुराग यह भी पढ़ें पिछले दिनों क्षेत्र भ्रमण के दौरान सीपू के ग्रामीणों से इन महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी आइटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया को दी। इस पर उन्होंने आइटीबीपी की एक टीम यहां भेजी। यहां पहुंचे जवानों ने गुफा के बाहर की फोटो ली। जवानों के मुताबिक गुफा के भीतर कई शिवलिंग और बाहर आकर्षक चट्टानें हैं। जवान गुफा में करीब दो किमी भीतर तक गए। अनुमान है कि इसकी लंबाई चार से पांच किमी हो सकती है। डीआइजी निंबाडिया का कहना है कि अब इस स्थल को प्रकाश में लाने की कोशिश की जाएगी।

आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) उच्च हिमालयी क्षेत्र में धारचूला के सीपू गांव स्थित विशालकाय गुफा को देश-दुनिया के सामने लाएगी। इसके लिए डीआइजी एपीएस निंबाडिया के निर्देश पर आइटीबी का एक दल गुफा तक पहुंच गया है। समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर सीपू गांव से करीब 12 …

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बाबा महावतार से लोकसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद लेने पहुंची उमा भारती

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने संकेत दिया है कि वे मिशन-2019 के लिए एक बार फिर क्रिया योग के जरिए महावतार बाबा से विजयी होने का आशीर्वाद लेने आई हैं। वहीं, इस दौरान उन्होंने हिमालयी राज्य में बढ़ते जल संकट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है। विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। मुख्यमंत्री को विशेष निर्देश दिए हैं, जिससे राज्य में जल संरक्षण से संबंधित कार्यों का क्रियान्वयन किया जा सके। केंद्रीय मंत्री उमा भारती हरिद्वार, रामनगर, रानीखेत होते हुए गुरुवार देर रात द्वाराहाट के दुधोली स्थित विश्राम गृह पहुंची। उमा रात को करीब 11 बजे ही आदिशक्ति दूनागिरि के दर्शन को पहुंच गर्इं। उन्होंने मंदिर के गर्भ गृह में एकांत में ध्यान लगाया। उसके बाद कुकुछिना (कौरवछीना) में गिरीश जोशी के आवास पर भोजन ग्रहण करने के बाद वापस दुधोली अतिथ गृह में रात्रि विश्राम किया। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री ने संक्षिप्त बातचीत में कहा कि राम मंदिर का मसला भारत वर्ष से जुड़ा है। फिलहाल, न्यायालय में भी यह मामला चल रहा है। हम चाहते हैं कि इसके निर्माण से पूर्व सभी राजनीतिक दलों को साथ लाया जाए। सबकी सहमति लेने के बाद ही इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। बिनसर महादेव के दर पहुंचे पूर्व सीएम रावत, चिमटा बजाकर लोगों संग गाए भजन यह भी पढ़ें वहीं, उमा भारती ने शुक्रवार को फिर से दूनागिरि मंदिर पहुंचकर दर्शन किए। उसके बाद पांडवखोली गुफा में ध्यान लगाने के लिए रवाना हो गईं। सूत्रों के अनुसार उमा पांडवखोली की चोटी पर स्थापित मंदिर भी जाएंगी। इस अलौकिक सौंदर्य आध्यात्मिक ऊर्जा वाले क्षेत्र में उनका प्रवास कितना होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। गौरतलब है कि पिछले साल यहां आई उमा ने तीन दिन ध्यान लगाया। उमा भारती का ये प्रवास व्यक्तिगत है। इस दौरान वह किसी से मिल नहीं रही। मीडिया से भी दूरी रखी गई है। अलबत्ता केंद्रीय मंत्री की सुरक्षा व्यवस्था के लिए तहसील व पुलिस प्रशासन मौजूद है। पांडव खोली में ध्यान व सुकून के लिए पहुंची उमा भारती यह भी पढ़ें गौरतलब है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद लेने आध्यात्मिक केंद्र पांडवखोली (द्वाराहाट) में ध्यान लगाने के पहुंची थी। उन्होंने महाअवतार बाबा का आशीर्वाद भी लिया था।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने संकेत दिया है कि वे  मिशन-2019 के लिए एक बार फिर क्रिया योग के जरिए महावतार बाबा से विजयी होने का आशीर्वाद लेने आई हैं। वहीं, इस दौरान उन्होंने हिमालयी राज्य में बढ़ते जल संकट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जल …

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उत्तराखंड में बनेंगी फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट, पटरी पर आएंगी स्वास्थ्य सेवाएं

सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश में 16 फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) खोलने जा रही है। हर जिला अस्पताल को रेफरल यूनिट बनाया जाएगा। इसके अलावा तीन मुख्य तहसीलों में भी रेफरल यूनिट खोलने की तैयारी है। इन यूनिटों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। मंशा यह है कि मरीजों को अपने जिले में ही हर संभव इलाज मिल सके। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना हर सरकार के लिए चुनौती रहा है। आज भी पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण चिकित्सकों की कमी होना है। मौजूदा सरकार ने इस समय प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हाल ही में सरकार ने 500 से अधिक नए चिकित्सकों की भर्ती की है। अब इन चिकित्सकों के बेहतर उपयोग के लिए प्रदेश में 16 नए एफआरयू खोलने की तैयारी चल रही है। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश जिलों में उचित स्वास्थ्य सेवाओं के न होने के चलते परिजन मरीजों को प्रमुख जिलों में लेकर आते थे। कई बार ऐसा भी हुआ कि चिकित्सा सुविधा के अभाव में मरीज रास्ते में दम तोड़ गए। गढ़वाल मंडल में देहरादून और कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी के जिला अस्पतालों में अन्य जिलों से आने वाले मरीजों की भरमार लगी रहती है। इसे देखते हुए अब सरकार ने हर जिला अस्तपाल को एफआरयू बनाने का निर्णय लिया है। इनके अलावा ऋषिकेश, कोटद्वार और रुद्रपुर में भी एफआरयू खोले जाएंगे। इसका मकसद यह है कि मरीजों को हर संभव इलाज अपने ही जिले में मिल सके। इसके लिए इन सभी एफआरयू में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा इन चिकित्सालयों को आधुनिक उपकरणों से भी लैस किया जाएगा। पहले चरण में तकरीबन 72 चिकित्सकों को इन एफआरयू में तैनात किया जाएगा। इन दिनों शासन में इन चिकित्सकों के नाम तय किया जा रहे हैं। इन चिकित्सकों की तैनाती के बाद एफआरयू विधिवत तरीके से संचालित होने लगेंगे। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी होने की संभावना है।सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश में 16 फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) खोलने जा रही है। हर जिला अस्पताल को रेफरल यूनिट बनाया जाएगा। इसके अलावा तीन मुख्य तहसीलों में भी रेफरल यूनिट खोलने की तैयारी है। इन यूनिटों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। मंशा यह है कि मरीजों को अपने जिले में ही हर संभव इलाज मिल सके। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना हर सरकार के लिए चुनौती रहा है। आज भी पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण चिकित्सकों की कमी होना है। मौजूदा सरकार ने इस समय प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हाल ही में सरकार ने 500 से अधिक नए चिकित्सकों की भर्ती की है। अब इन चिकित्सकों के बेहतर उपयोग के लिए प्रदेश में 16 नए एफआरयू खोलने की तैयारी चल रही है। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश जिलों में उचित स्वास्थ्य सेवाओं के न होने के चलते परिजन मरीजों को प्रमुख जिलों में लेकर आते थे। कई बार ऐसा भी हुआ कि चिकित्सा सुविधा के अभाव में मरीज रास्ते में दम तोड़ गए। गढ़वाल मंडल में देहरादून और कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी के जिला अस्पतालों में अन्य जिलों से आने वाले मरीजों की भरमार लगी रहती है। इसे देखते हुए अब सरकार ने हर जिला अस्तपाल को एफआरयू बनाने का निर्णय लिया है। इनके अलावा ऋषिकेश, कोटद्वार और रुद्रपुर में भी एफआरयू खोले जाएंगे। इसका मकसद यह है कि मरीजों को हर संभव इलाज अपने ही जिले में मिल सके। इसके लिए इन सभी एफआरयू में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा इन चिकित्सालयों को आधुनिक उपकरणों से भी लैस किया जाएगा। पहले चरण में तकरीबन 72 चिकित्सकों को इन एफआरयू में तैनात किया जाएगा। इन दिनों शासन में इन चिकित्सकों के नाम तय किया जा रहे हैं। इन चिकित्सकों की तैनाती के बाद एफआरयू विधिवत तरीके से संचालित होने लगेंगे। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी होने की संभावना है।

सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश में 16 फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) खोलने जा रही है। हर जिला अस्पताल को रेफरल यूनिट बनाया जाएगा। इसके अलावा तीन मुख्य तहसीलों में भी रेफरल यूनिट खोलने की तैयारी है। इन यूनिटों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। …

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