खेतीबाड़ी से निर्यात बढ़ाना अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि योगी सरकार की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक राज्य के निर्यात को तीन गुना करना है, और इसमें खेतीबाड़ी की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में कृषि और खाद्य पदार्थों के निर्यात में करीब 10% की वृद्धि दर्ज की गई है। खासतौर पर सब्जियों और फलों को नए अंतरराष्ट्रीय बाजार मिले हैं। इस रुझान ने स्पष्ट कर दिया है कि खेतीबाड़ी से निर्यात बढ़ाना राज्य की अर्थव्यवस्था को नया आयाम दे सकता है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे जिलों से खाड़ी देशों को सब्जियों का निर्यात तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह वैश्विक स्तर की कनेक्टिविटी और प्रयागराज से हल्दिया तक फैले जलमार्ग को माना जा रहा है। वहीं, स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते अमेरिका और यूरोप में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है।
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इसी अवसर को भुनाने के लिए योगी सरकार जेवर एयरपोर्ट के पास एक आधुनिक एक्सपोर्ट हब बना रही है, जिसमें अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं होंगी। यहां उत्पादों की गुणवत्ता की जांच कर यूरोपीय देशों के सख्त निर्यात मानकों को पूरा किया जाएगा।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए यह सुनहरा मौका है। गंगा के दोनों किनारों, बुंदेलखंड और पूर्वांचल में पहले से हो रही प्राकृतिक खेती अब और संगठित रूप में प्रोत्साहित की जा रही है। विश्व बैंक की सहायता से आने वाली ‘UP एग्रीज योजना’ जैसी पहलें भविष्य में राज्य को कृषि निर्यात का केंद्र बना सकती हैं।
उत्तर प्रदेश की ताकत सिर्फ प्राकृतिक संसाधन ही नहीं, बल्कि इंडो-गैंगेटिक बेल्ट की सबसे उर्वर भूमि भी है। यहां गंगा, यमुना और सरयू जैसी नदियों में पूरे साल भर पानी रहता है, जिससे सिंचाई का दायरा बढ़ रहा है। साथ ही, श्रम की उपलब्धता और लागत की दृष्टि से राज्य प्रतिस्पर्धात्मक बना हुआ है।
उत्तर प्रदेश आज देश में कई फल, सब्जी और खाद्य उत्पादों के उत्पादन में नंबर एक पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शब्दों में, “प्रकृति और परमात्मा की कृपा से उत्तर प्रदेश देश का फूड बास्केट बन सकता है।”
राज्य सरकार बीज से लेकर बाजार तक किसानों को हर संभव सहायता दे रही है ताकि खेतीबाड़ी से निर्यात बढ़ाना केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई बन सके।