केदारनाथ धाम दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को जल्द रोपवे की सुविधा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पर्यटन विभाग बुधवार को गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के बीच रोपवे बनाने के लिए इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मांगा है। करीब 8.5 किलोमीटर लंबा रोपवे लगभग पौने पांच सौ करोड़ की लागत से तैयार होगा। वहीं, इसके माध्यम से धाम आने जाने का संभावित किराया लगभग साढ़े तीन हजार रुपये रहेगा।
केदारनाथ धाम को तीर्थाटन का विश्वस्तरीय केंद्र बनाने के लिए सरकार अब अत्याधुनिक रोपवे प्रणाली निर्मित करेगी। पर्यटन विभाग ने रोपवे के लिए स्थान चिन्हित करने के साथ वहां निवेश को आकर्षित करने के लिए ईओआई निकाल रहा है। निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया से अलग तरीका अपनाया जा रहा है। निर्माण के लिए आने वाले पौने पांच सौ करोड़ की लागत को देखते हुए पीपीपी मोड पर संचालित किया जा सकता है।
हेली सेवा का बनेगा विकल्प
रोपवे परियोजना के निर्माण के बाद सरकार धाम तक जाने वाली हेली सेवाओं को रोक लग सकती है। विशेष परिस्थितियों में भी हेलीकाप्टर सेवा चलेगी। रोपवे की दरों को इसी अनुसार तय किया जा रहा है। इसके अलावा अत्यधिक हेली सेवा से वन एवं पर्यावरण संबंधित आपत्तियों पर भी विराम लगेगा।
साढ़े सात लाख श्रद्धालु आए धाम
केदारनाथ आपदा के बाद तीर्थ यात्रियों की संख्या में आई कमी चार वर्षों में कई गुणा बढ़ गई है। पर्यटन विभाग के अनुसार वर्ष 2014 में मात्र 40 हजार तीर्थ यात्री पहुंचे थे, लेकिन इस वर्ष साढ़े सात लाख की संख्या पार हो जाएगी। इससे रोपवे परियोजनाओं निर्मित होने के बाद उसके संचालकों को भी लाभ मिलेगा।
नैनीताल और मसूरी में भी रोपवे जल्द
पर्यटन विभाग केदारनाथ के साथ दो अन्य बड़ी रोपवे परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में जुटा है। इन्वेस्टर्स समिट से पहले साढ़े पांच किलोमीटर लंबे मसूरी रोपवे का टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके अलावा नैनीताल में 11 किलोमीटर लंबे रोपवे के लिए भी ईओआई जारी किया जा रहा है। इन्वेस्टर्स समिट में भी प्रदेश सरकार इसका उल्लेख करेगी।
केदारनाथ धाम के लिए साढ़े आठ किलोमीटर लंबे रोपवे के लिए ईओआई जारी किया गया है। इच्छुक कंपनी से करार के लिए कई तरह की शर्तें रखी गई है। अधिक संभावना पीपीपी मोड पर निर्माण की है। इसके अलावा नैनीताल और मसूरी में रोपवे परियोजना निर्मित होगी।