मनीष शुक्ल,
लखनऊ। दशकों से महज डिप्लोमा पाने का जरिया बने पॉलीटेक्निकों के कायाकल्प की तैयारी हो रही है। छोटे कस्बों और गांवों के मेधावी विद्यार्थियों को फिटर और प्लम्बर जैसे रोजगार से आगे निकलकर लम्बी उड़ान भरने का मौका मिलने जा रहा है। साथ ही साथ मेधावियों के तैयार उत्पादों और तकनीकी के निर्यात की सुविधा भी दी जाएगी। इसके लिए यूपी की अपनी पहली स्मार्ट सिटी में प्रदेश स्किल्स इंस्टीट्यूट की स्थापना हो रही है। यहां पर परम्परागत कोर्सों के साथ ही तकनीकी, स्वास्थ्य और औद्योगिक क्षेत्र में शोध एवं इनोवेशन होगा। प्रदेश की पहली स्मार्ट ट्रांस गंगा सिटी उन्नाव में बनने वाले से स्किल इंस्टीट्यूट से लघु उद्योग और हैंडीक्रॉफ्ट के क्षेत्र में नई क्रांति का श्रीगणेश होने जा रहा है। अब तक ट्रेनर, फिटर समेत अन्य परम्परागत कोर्सों का संचालन करने वाली पॉलीटेक्निकों को इस संस्था न से जोडक़र नया स्वरूप दिया जा रहा है। गौरतलब है कि इंजीनियरिंग कालेजों से लेकर पॉलीटेक्निकों में छात्र नई खोज करते हैं और रिसर्च माडल तैयार करते हैं। हालांकि ऐसे प्रोजेक्ट्स को विकसित करने का सही वातावरण न मिल पाने से योग्य विद्यार्थी भी केवल डिप्लोमा और डिग्री लेकर नौकरी तक सिमट कर रह जाते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल के बाद अब छात्र-उद्योग और तकनीकी के संगम को एक प्लेटफार्म पर लाने की कवायद की गई है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय से लेकर आईआईटी के विशेषज्ञ कोर्स माड्यूल तैयार करेंगे। यह कोर्स पूरी तरह से व्यावहारिक और छोटे- छोटे शोध एवं खोज को बढ़ावा देने वाला होगा। मुख्य रूप से प्रदेश के लघु उद्योग और हैंडीक्रॉफ्ट के क्षेत्र में नई क्रांति के लिए प्रदेश सरकार ने यह पहल की है। कैबिनेट ने हाल ही इसके कांसेप्ट नोट को मंजूरी दे दी है। संस्थान से सीधे तौर पर प्रदेश भर के 75 राजकीय पालीटेक्निक कॉलेज को जोड़ा जाएगा जिससे यहां के विद्यार्थियों को तकनीकी से लैस किया जा सकेगा। इसके साथ ही एचबीटीआई कानपुर, बीआईईटी झांसी, केएनआईटी सुल्तानपुर, यूपीटीटीआई कानपुर, आईईटी लखनऊ, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर, राजकीय इंजीनियरिंग कालेज अम्बेडकर नगर, बिजनौर, कन्नौज, मैनपुरी, आजमगढ़ और बांदा के मेधावियों के लिए शोध का प्लेटफार्म मुहैया कराया जाएगा। संस्थान की खास बात यह होगी कि पहली बार स्वास्थ्य सेक्टर के कार्यों का संचालन भी होगा जिससे मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं को सर्वसुलभ किया जा सके। साथ ही उद्योग की जरूरत के हिसाब से संचार आधारित तकनीकी सेवाओं का निर्यात किया जाएगा।